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बच्चे की जान भी जा सकती है रोटावायरस से, जानिए इसके लक्षण और बचाव

विशेषज्ञ रोटावायरस के बारे में बताते है कि ये संक्रामक वायरस होता है। ये ज्यादातर पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों को अधिक होता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार पांच वर्ष से कम उम्र का हर बच्चा कम से कम एक बार रोटावायरस का षिकार अवष्य ही होता है। जो कि अधिकांष तीन से वर्ष से कम उम्र में होता है। इसका प्रकोप ज्यादातर गांव के बच्चों में ज्यादा होता है। यदि कोई बच्चा इस संक्रमण वायरस की चपेट में आ जाता है, तो ऐसी स्थिति में इसकी रोकथाम के लिए टीका लगवाना सबसे बेहतर उपाय होता है।
बच्चे की जान भी जा सकती है रोटावायरस से, जानिए इसके लक्षण और बचाव

जयपुर।  रोटावायरस जैसे की नाम से ही ज्ञात होता है कि यह एक वायरस है। यह ऐसा वायरस होता है, जो संक्रमण के जरिए पांच साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। इससे पांच साल से कम उम्र के बच्चों में अतिसार रोग का होना तो आम बात होती है।

बच्चे की जान भी जा सकती है रोटावायरस से, जानिए इसके लक्षण और बचाव

एक रिपार्ट में खुलासा किया गया है कि रोटावायरस के प्रकोप से हर साल हजारों बच्चों की मौत हो जाती है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार पांच वर्ष से कम उम्र का हर बच्चा कम से कम एक बार रोटावायरस का षिकार अवष्य ही होता है।

बच्चे की जान भी जा सकती है रोटावायरस से, जानिए इसके लक्षण और बचाव

जो कि अधिकांष तीन से वर्ष से कम उम्र में होता है। इस वायरस के होने पर बच्चों में दस्त होने लगते है, जिसके कारण डिहाड्रेषन हो जाता है और बच्चे को बुखार तथा उल्टी भी हो सकती है। यह एक संक्रामक वायरस होने के कारण एक इंसान से दूसरे इंसान में आसानी से पहुंच जाता है।

बच्चे की जान भी जा सकती है रोटावायरस से, जानिए इसके लक्षण और बचाव

जिसमें खासकर यह बच्चों को आसानी से अपना षिकार बना लेता है। यदि इससे बच्चों को बचा कर रखना है, तो बच्चों को अच्छी तरह से साफ रखने की जरूरत होती है। इसके साथ ही संक्रमण वाले स्थानों पर नहीं जाने देना चाहिए। क्योंकि यदि कोई बच्चा एक बार इसके संपर्क में आ जाता है, तो फिर छोटे बच्चों को इस संक्रमण से बचाना मुष्किल हो जाता है। बता दे कि इसका प्रकोप ज्यादातर गांव के बच्चों में ज्यादा होता है।

बच्चे की जान भी जा सकती है रोटावायरस से, जानिए इसके लक्षण और बचाव

यदि कोई बच्चा इस संक्रमण वायरस की चपेट में आ जाता है, तो ऐसी स्थिति में इसकी रोकथाम के लिए टीका लगवाना सबसे बेहतर उपाय होता है। इसके टीके की बात करे तो भारत में इस वायरस से बचने के दो प्रकार के टीके होते हैं। एक तो रोट्रिक्स जिसकी दो खुराक दी जाती है और वहीं दूसरा रोटाटेक जिसकी तीन खुराक दी जाती है।

विशेषज्ञ रोटावायरस के बारे में बताते है कि ये संक्रामक वायरस होता है। ये ज्यादातर पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों को अधिक होता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार पांच वर्ष से कम उम्र का हर बच्चा कम से कम एक बार रोटावायरस का षिकार अवष्य ही होता है। जो कि अधिकांष तीन से वर्ष से कम उम्र में होता है। इसका प्रकोप ज्यादातर गांव के बच्चों में ज्यादा होता है। यदि कोई बच्चा इस संक्रमण वायरस की चपेट में आ जाता है, तो ऐसी स्थिति में इसकी रोकथाम के लिए टीका लगवाना सबसे बेहतर उपाय होता है। बच्चे की जान भी जा सकती है रोटावायरस से, जानिए इसके लक्षण और बचाव

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