15 से 21 अप्रैल तक रहेगी रोंगाली बिहू की धूम, जानें इस पर्व से जुड़ी रोचक बातों को
जयपुर। बिहू असम का सबसे प्रमुख त्योहार माना जाता है, बिहू का पर्व फसलों का पर्व हैं, इस पर्व में असम के लोग अपने देवता शबराई को याद करते हैं, जिससे साल भर उनके घर में अनाज के भंडार भरे रहते हैं। बिहू फसल पकने की खुशी में मनाया जाने वाला त्योहार है। बिहू का फसल मुख्य रुप से असम में मनाया जाता है इसके अलावा ओड़िशा, पंजाब, नेपाल, तमिलनाडु और केरल में भी मनाया जाता है।
इस साल बिहू का पर्व 15 से 21 अप्रैल तक मनाया जाएगा। इस दिन स्नान कर नए कपड़े पहनने जाते हैं। बिहू के पर्व से असम में नए साल की शुरूआत होती है व इसके साथ ही फसल काटी जाती है व शादी-ब्याह के शुभ मुहुर्त की शुरुआत होती है।
बिहू पर्व से बैसाख महीने से शुरू मानी जाती है, इस पर्व को 7 दिनों तक मनाया जाता है। बिहू पर्व को अलग अलग अलग-अलग रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। इसे बोहाग बिहू के नाम से भी जाना जाता है।
बिहू के पहले दिन गाय की पूजा की जाती है, सुबह गाय को स्नान कराकर कच्ची हल्दी और कलई दाल का इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही औषधि वाले पौधों से धुआं किया जाता है। इस दिन लोग दही-चिवड़ा खाते हैं।
असम में नए साल की खुशी के रुप में तरह तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं। इस दिन पकवानों के साथ ही हरी पत्तियों वाली साग-सब्जी खाई जाती है। बिहू के दिन लोग पारंपरिक नृत्य करते हैं। ढोल, बांसुरी, पेपा, ताल की थाप पर नाचते महिला-पुरुषों का परिधान भी पारंपरिक होता है।
बिहू पर्व साल तीन बार आते हैं। जिनको अलग-अलग नामों से जाना जाता है, अप्रैल माह में मनाये जाने वाला बिहू रोंगाली और बोहाग के नाम से जाना जाता है तो अक्टूबर माह के बिहू को कंगाली और काती के नाम से जाना जाता है जनवरी माह में मनाए जाने वाले बिहू को भोगाली और माघ बिहू कहा जाता है।