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सरकार के नियंत्रण से ऐसे बाहर हो सकती है पेट्रोल-डीजल की दरें

रिलायंस इंडस्ट्रीज और ब्रिटेन की BP PLC के भारत में पेट्रोल पंप खोलने से सरकारी ईंधन कंपनियों पर बड़ा असर पड़ने की संभावना है। इनकी बाजार हिस्सेदारी ज्यादा प्रभावित हो सकती है। हाल ही,रिलायंस और बीपी ने ईंधन की खुदरा बिक्री के लिए अपनी साझेदारी को लेकर घोषणा की। ब्रिटिश कंपनी ने 1 अरब डॉलर में रिलायंस की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया है।
सरकार के नियंत्रण से ऐसे बाहर हो सकती है पेट्रोल-डीजल की दरें

Morgan stanley की रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज और ब्रिटेन की BP PLC के भारत में पेट्रोल पंप खोलने से सरकारी ईंधन कंपनियों पर असर पड़ सकता है। इनकी बाजार हिस्सेदारी ज्यादा प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है। पिछले सप्ताह रिलायंस और बीपी ने ईंधन की खुदरा बिक्री के लिए अपनी साझेदारी को लेकर घोषणा की थी।

सरकार के नियंत्रण से ऐसे बाहर हो सकती है पेट्रोल-डीजल की दरें

ब्रिटिश कंपन ने एक अरब डॉलर में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया है। इस समझौते के बाद रिलायंस के पेट्रल पंपों की संख्या 5500 हो जाएगी। रिलायंस कंपनी के भारत में कुल 1400 पेट्रोल है। बीपी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच ये प्रस्तावित भागीदारी 2020 की पहली तिमाही में पूरी होने की संभावना है। बीपी और रिलायंस के बीच हुए समझौते पत्र के बाद से घरेलू ईंधन मार्केट में प्रतिस्पर्धा देखने को मिल सकती है। इसके चलते ईंधन की दरें सरकार के हस्तक्षेप से बाहर होने की आशंका जताई जा रही है।

सरकार के नियंत्रण से ऐसे बाहर हो सकती है पेट्रोल-डीजल की दरें

रिपोर्ट के अनुसार, बीपी और रिलायंस के बीच साझेदारी का सबसे अधिक असर इंडियन ऑइल कोर्पोरेशन की हिस्सेदारी पर पड़ने वाला है। इसके पीछे रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि पिछले दशक में ऐसा होना सामने आ चुका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत पेट्रोलियम कोर्पोरेशन के पेट्रोल पंप सबसे अधिक हाइवे पर हैं। इसके चलते दरों को लेकर रणनीति बनाने को तैयार रहना होगा। एचपीसीएल पर ज्यादा प्रभाव की संभावना नहीं दिख रही है क्योंकि एचपीसीएल के ज्यादातर पेट्रोल पंप शहरों में है। लंबी अवधि की लीज को लेकर शहरी क्षेत्रों में होने वाली परेशानी से कंपनी को शहरों में प्रवेश पर ज्यादा मशक्कत करनी पड़ सकती है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज और ब्रिटेन की BP PLC के भारत में पेट्रोल पंप खोलने से सरकारी ईंधन कंपनियों पर बड़ा असर पड़ने की संभावना है। इनकी बाजार हिस्सेदारी ज्यादा प्रभावित हो सकती है। हाल ही,रिलायंस और बीपी ने ईंधन की खुदरा बिक्री के लिए अपनी साझेदारी को लेकर घोषणा की। ब्रिटिश कंपनी ने 1 अरब डॉलर में रिलायंस की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया है। सरकार के नियंत्रण से ऐसे बाहर हो सकती है पेट्रोल-डीजल की दरें

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