नये शोध में हुआ खुलासा, जीन बदलाव से मुमकिन है फेफड़ो से संबंधित रोगों का इलाज
जयपुर. जैसा कि हम सब जानते है कि आज के समय में एक पूर्ण स्वस्थ जीवन जीना नामुमकिन सा ही लगता है क्योंकि हमारे चारों ओर फैले वातावरण में प्रदूषण ने और खानपान में मिलावट ने अपने कड़े पैर जमा रखे है जिसके चलते ही हम आयदिन बीमारियों के चंगुल में फंस जाते है। बता दे
जयपुर. जैसा कि हम सब जानते है कि आज के समय में एक पूर्ण स्वस्थ जीवन जीना नामुमकिन सा ही लगता है क्योंकि हमारे चारों ओर फैले वातावरण में प्रदूषण ने और खानपान में मिलावट ने अपने कड़े पैर जमा रखे है जिसके चलते ही हम आयदिन बीमारियों के चंगुल में फंस जाते है। बता दे कि इस बढ़ते प्रदूषण के कारण सांस और फेफड़ो से संबंधित विकार अधिक होना जैसे सामान्य सा हो गया है लेकिन इन सब से होने वाली तकलीफ किसी भी हद तक सामान्य नहीं होती है।
इनही सांस और फेफड़ों से संबंधित विकारों को दुर करने कि दिशा में वैज्ञानिकों के द्वारा एक ताजा शोध किया गया है।
जानकारी के माने तो ये शोध अभी तक सफलतापूर्वक जानवरों पर किया गया है । वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि भविष्य में इस शोध से इंसान के जीवन को एक नया आयाम दिया जा सकेगा।
जानकारी के अनुसार चूहों में फेफड़ों से संबंधित जानलेवा विकारों को पूर्णता नष्ट करने के लिए चूहों के जन्म से पूर्व ही जीन में बदलाव करके उन्हें बचाया गया।
साइंस ट्रांसलेशन मेडिसन जर्नल में छपी जानकारी में वैज्ञानिकों ने ये कहा गया है कि जन्म से पूर्व गर्भाशय ( uterus ) में रहने के दौरान जीन में थोड़े बदलाव करके फेफड़ों से जुड़े रोगों के इलाज में पूर्णता सफलता पायी जा सकती है।
अमेरिका के फिलाडेल्फिया चिल्ड्रन हॉस्पिटल (सीएचओपी) की शोधकर्ता एच पेरांतेऊ के मुताबिक भ्रूण के विकास के दौरान उसके जन्मजात गुण जीन बदलाव के लिए उसे अनुकूल बनाते हैं।
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जन्म से पूर्व गर्भाशय में जीन बदलाव करने से रोग से सुरक्षा और उसे कम करने में मदद मिलती है। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि इस प्रक्रिया के बाद फेफड़े जन्म से ही स्वस्थ्य रहेंगे। ये भी खुलासा हुआ कि खराब हुए जीन को भी सही करने में ये शोध सहायक साबित हो सकता है।