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रिले में सोना जीतकर फाउल का गम कम किया : हिमा दास

जकार्ता एशियाई खेलों की चार गुणा 400 मीटर रिले स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारत की फर्राटा धावक हिमा दास ने कहा है कि 200 मीटर में फाउल होने का बाद टीम स्पर्धा में स्वर्ण जीतने से वह खुश हैं और इस कारण फाउल के बाद का उनका गम काफी कम हो गया है।
रिले में सोना जीतकर फाउल का गम कम किया : हिमा दास

जकार्ता एशियाई खेलों की चार गुणा 400 मीटर रिले स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारत की फर्राटा धावक हिमा दास ने कहा है कि 200 मीटर में फाउल होने का बाद टीम स्पर्धा में स्वर्ण जीतने से वह खुश हैं और इस कारण फाउल के बाद का उनका गम काफी कम हो गया है।

हिमा ने पुवम्मा राजू, सरिताबेन गायकवाड़ और विसमाया वेलुवाकोरोथ के साथ मिलकर महिलाओं की चार गुणा 400 मीटर रिले स्पर्धा का स्वर्ण अपने नाम किया था। अपनी पसंदीदा 200 मीटर रेस में फाल्श स्टार्ट के कारण सेमीफाइनल से ही बाहर हो गई थीं।

हिमा ने इंडोनेशिया से लौटने के बाद भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह से इतर आईएएनएस से बातचीत में कहा कि 200 मीटर में फाउल होने का उन्हें ज्यादा मलाल नहीं है क्योंकि खेल में यह सब होता रहता है लेकिन उस वक्त वह दुखी थीं क्योंकि यह उनकी पसंदीदा स्पर्धा है।

18 वर्षीय हिमा ने कहा, “खेल में खिलाड़ियों के साथ फाउल तो होते रहते हैं। हालांकि मैं थोड़ी दबाव में भी थी क्योंकि मुझे चार गुणा 400 मीटर मिश्रित रिले टीम स्पर्धा और फिर चार गुणा 400 मीटर रिले स्पर्धा में भी हिस्सा लेना था। 200 मीटर में चूकने के बाद मैंने टीम स्पर्धा में रजत और स्वर्ण पदक अपने नाम किया। टीम स्पर्धा के प्रदर्शन के बाद अपने फाउल को भूल गई थी।”

हिमा ने मोहम्मद अनस, पुवम्मा राजू और राजीव अरोकिया के साथ मिलकर चार गुणा 400 मीटर मिश्रित रिले टीम स्पर्धा में रजत पदक भी जीता था।

हिमा ने 200 मीटर में फाउल होने के बाद सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा निकाला था और अपने घरेलू राज्य असम के दो लोगों को इसका जिम्मेदार ठहराया, जिन्होंने हिमा के मुताबिक एक विवाद पैदा किया था। लेकिन यहां वह अपने बयान से पीछे हट गईं और उन्होंने कहा कि उनका किसी से कोई निजी दुश्मनी नहीं है।

आईएएएफ विश्व अंडर-20 चैम्पियनशिप में स्वर्ण जीत इतिहास रचने वाली हिमा ने कहा, “मेरी किसी से कोई निजी दुश्मनी नहीं है। मैं अब उस विवाद को पीछे छोड़ देना चाहती हूं और अपने काम पर ध्यान देना चाहती हूं। आगे अभी ढेर सारे टूर्नामेंट होने वाले हैं और मैं उन पर अपना ध्यान लगाना चाहती हूं। मैं किसी ऐसे विवाद में नहीं पड़ना चाहती जिससे आगे की हालात मेरे लिए मुश्किल हो।”

यह पूछे जाने पर कि अब आपके पास तीन पदक हो गए हैं और अब क्या हासिल करना चाहती हैं, उन्होंने कहा, “मैं पदक से ज्यादा अपने समय पर ध्यान देती हूं। मैं इसी लक्ष्य के साथ जकार्ता गई थी कि मुझे अपनी टाइमिंग में सुधार करनी है। अगर आप समय में अच्छा करते हो तो पदक अपने आप जीत जाएंगे।”

कोच बहादुर सिंह का कहना है कि उनका अगला लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ ओलम्पिक है। उन्होंने कहा कि इस दौरान जो भी टूर्नामेंट होंगे एथलीट उनमें भाग लेंगे लेकिन अपना सारा ध्यान ओलम्पिक पर लगाएंगे।

यह पूछने पर कि कोच का लक्ष्य सिर्फ ओलम्पिक है और आपका क्या लक्ष्य है, हिमा ने कहा, “मेरा लक्ष्य अपना सर्वश्रेष्ठ समय निकालना है। एशियाई खेलों में जो समय रहा है मैं उनमें सुधार करना चाहती हूं। मैं ओलम्पिक के लिए ही अपने समय में सुधार करना चाहती हूं ताकि वहां भी पदक जीतकर फिर से राज्य और देश के लोगों को गौरवान्वित कर सकूं।”

4 गुणा 400 मिश्रित रिले को पहली बार एशियाई खेलों में शामिल किया गया था और इसकी अपनी तैयारियों को लेकर हिमा ने कहा, “स्पर्धा कोई सा भी हो, एक एथलीट के लिए मानसिक रूप से खुद को तैयार रखना जरूरी है। फिनलैंड से लौटने के बाद मैंने अगले दिन से ही इसके लिए कड़ी मेहनत करनी शुरू कर दी थी। इसमें हिस्सा लेना काफी अच्छा अनुभव रहा।”

हिमा ने अब तक जीते गए अपने सभी पदक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित किया, जिनका पिछले महीने निधन हो गया था।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

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