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चूहों की भी होती हैं अपनी बॉडी लैंग्वेज, नये शोध से पता चला है

जयपुर। इंसान अपने शारीरिक हाव-भाव के जरिए अपने मन की संवेदनाएं को जाहिर करता हैं। इसी चीज को बॉडी लेंग्वेज कहा जाता है। यानी के शारीरिक हावभाव के जरिए अपनी अनकही बातों को कहना ही शारीरिक भाषा कहलाती है। वैसे तो इंसान अपनी बॉडी लैंग्वेज से ही अपने दिली इरादे जाहिर करता रहता है। मगर
चूहों की भी होती हैं अपनी बॉडी लैंग्वेज, नये शोध से पता चला है

जयपुर। इंसान अपने शारीरिक हाव-भाव के जरिए अपने मन की संवेदनाएं को जाहिर करता हैं। इसी चीज को बॉडी लेंग्वेज कहा जाता है। यानी के शारीरिक हावभाव के जरिए अपनी अनकही बातों को कहना ही शारीरिक भाषा कहलाती है। वैसे तो इंसान अपनी बॉडी लैंग्वेज से ही अपने दिली इरादे जाहिर करता रहता है। मगर हालिया शोध से यह पता चला है कि चूहे भी इंसानों की तरह बॉडी लैंग्वेज इस्तेमाल करते हैं।

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शायद यही मुख्य वजह है कि ज्यादातर प्रयोगशालाओं में चूहों का ही प्रयोग किया जाता है। ताकि इंसान के लिये विकसित की जाने वाली दवाइयों और तकनीक को बेहतर ढंग से समझा जा सके। दरअसल यह बात हम नहीं कह रहे हैं बल्कि मशहूर हॉवर्ड के वैज्ञानिक कह रहे हैं। हॉवर्ड मेडिकल स्कूल में न्यूरोबायोलॉजी के सहायक प्रोफेसर संदीप दत्ता के निर्देशन में शोधकर्ताओँ ने इस बार अपने रिसर्च के लिए हर रिसर्च में काम आने वाले चूहों को चुना। शोधकर्ताओं ने चूहों की शारीरिक गतिविधियों को समझने के लिए एक नई तकनीक बनाई है।चूहों की भी होती हैं अपनी बॉडी लैंग्वेज, नये शोध से पता चला है

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न्यूरॉन नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह अनोखा खुलासा किया गया है। इस शोध में न्यूरोसाइंस के जरिए इंसानी बिहेवियर की लोंग टाइम वाली समस्याओं के उपचार का तरीका भी बताया गया है। इस शोध पत्र में बताया गया है कि किसी भी व्यक्ति का दिमाग उसमें पैदा होने वाली मानसिक तरंगों के आधार पर ही शारीरिक हाव-भाव उत्पन्न करता है। चूहों में भी बॉडी लेंग्वेज के द्वारा कई जरूरी काम किए जाते हैं।चूहों की भी होती हैं अपनी बॉडी लैंग्वेज, नये शोध से पता चला है

नये शोध से मालूम चला है कि दिमाग में उत्पन्न होने वाली तरंगों से ही हमारा व्यवहार निर्धारित होता है। अगर तरंगें सकारात्मक हुई तो हम खुश होते हैं। वही अगर ये तरंगें नकारात्मक ऊर्जा वाली हुई तो हमारा व्यवहार गुस्से और चिड़चिड़ेपन से लबरेज होने लगता हैं। शोधकर्ताओं ने कहा है कि चूहे के दिमाग की यह तकनीक इंसान के दिमाग का बेहतर ढंग से अध्ययन करने के लिए काफी मददगार होती है।चूहों की भी होती हैं अपनी बॉडी लैंग्वेज, नये शोध से पता चला है

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