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पौष पुत्रदा एकादशी के दिन पढ़ें एकादशी व्रत कथा

एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष माना गया हैं एकादशी का व्रत रखने से मन की चंचलता समाप्त हो जाती हैं धन और आरोग्य की प्राप्ति होती हैं पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से संतान सुख भी मिलता हैं। यह व्रत भगवान विष्णु को समाप्ति होता हैं। वही पौष पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत कथा पढ़ना जरूरी माना जाता हैं।
पौष पुत्रदा एकादशी के दिन पढ़ें एकादशी व्रत कथा

एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष माना गया हैं एकादशी का व्रत रखने से मन की चंचलता समाप्त हो जाती हैं और धन और आरोग्य की प्राप्ति होती हैं पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से संतान सुख भी मिलता हैं। यह व्रत भगवान विष्णु को समाप्ति होता हैं। तो आज हम आपको पौष पुत्रदा एकादशी से जुड़ी व्रत कथा बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं। पौष पुत्रदा एकादशी के दिन पढ़ें एकादशी व्रत कथाजानिए पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा—
इस व्रत की शुरुआत महीजित नामक राजा से हुई जो पुत्र न होने की वजह से परेशान था। महीजित अपनी प्रजा से बहुत अधिक प्रेम करता था। अपराधियों को कड़ा दंड देने की वजह से प्रजा अपने राजा से बहुत ही प्रसन्न रहती थी। मगर महाराज एक वजह से हमेशा दुखी रहते।पौष पुत्रदा एकादशी के दिन पढ़ें एकादशी व्रत कथा उनके दुख का कारण था उनके बाद उनके राज्य का कोई उत्तराधिकारी नहीं था। एक दिन राजा ने अपनी प्रजा से कहा कि मैने आज तक कोई बुरा कर्म नहीं किया और ना ही कभी किसी का दिल दुखाया हैं, फिर भी मुझे एक पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई प्रजा ने कहा कि महाराज इस जन्म में तो आपने अच्छे कर्म किए हैं पर शायद आपने पिछले जन्म में कोई गलत काम किया होगा जिस कारण से आपको इस जन्म में पुत्र की प्राप्ति नहीं हो पा रही हैं।पौष पुत्रदा एकादशी के दिन पढ़ें एकादशी व्रत कथा

प्रजा ने अपने महाराज को महर्षि लोमश से बात करने की सलाह दी। प्रजा और राजा ने वन में जाकर महर्षि से मुलाकात की और पुत्र न होने का कारण पूछा। महर्षि ने कहा कि राजन पिछले जन्म में आप बहुत निर्धन मनुष्य थे और अपना गुजारा करने के लिए आपने कई गलत काम किए। पौष पुत्रदा एकादशी के दिन पढ़ें एकादशी व्रत कथामहर्षि ने बताया कि पिछले जन्म में महाराज एक प्यासी गाय का पानी लेकर खुद पी गए थे। जिसके कारण उन्हें ये पाप लगा। उस दिन ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी थी। इसी कारण महाराज को इस जन्म में पुत्र का वियोग सहना पड़ा हैं। इस पाप से छुटकारे का उपाय महर्षि ने बताया था। कि राजा सहित पूरी प्रजा को सावन के माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को व्रत रखना होगा। ऐसा करने से राजा को पूर्व जन्म के पाप से मुक्ति मिल और राजा को संतान सुख की प्राप्ति हुई। पौष पुत्रदा एकादशी के दिन पढ़ें एकादशी व्रत कथा

एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष माना गया हैं एकादशी का व्रत रखने से मन की चंचलता समाप्त हो जाती हैं धन और आरोग्य की प्राप्ति होती हैं पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से संतान सुख भी मिलता हैं। यह व्रत भगवान विष्णु को समाप्ति होता हैं। वही पौष पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत कथा पढ़ना जरूरी माना जाता हैं। पौष पुत्रदा एकादशी के दिन पढ़ें एकादशी व्रत कथा

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