यूरोप की संसद में भारत के सीएए कानून खिलाफ प्रस्ताव पेश
जयपुर।भारत सरकार के द्वारा बीते माह 12 दिसंबर को लागू किए गए नागरिकता संशोधन कानून पर देश भर में विरोध-प्रदर्शनों के बाद अब भारत यह मामला यूरोपीय संसद में पहुंच गया है।यूरोपीय संसद के यूरोपियन यूनाइटेड लेफ्ट और नॉर्डिक ग्रीन लेफ्ट समूह ने भारत के संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया है।यूरोपियन यूनियन की संसद में पेश किए गए इस प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार की सार्वभौमिक घोषणा के अनुच्छेद—15 के साथ वर्ष 2015 में हस्ताक्षरित किए गए भारत-यूरोपीय संघ सामरिक भागीदारी संयुक्त कार्य योजना व
मानवाधिकारों पर यूरोपियन यूनियन और भारत के संबधों का भी उल्लेख किया गया है।इसके अलावा इस प्रस्ताव में भारत सरकार से इस बात अपील की गई है कि वह नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों से बातचीत कर इस मामलें को सुलझाने की कोशिश करे।
सूत्रों ने बताया कि यूरोपीय संसद में भारत सरकार के कानून खिलाफ लाए गए इस प्रस्ताव पर जल्द ही चर्चा शुरू की जायेंगी और इस पर मतदान भी किया जाने वाला है।वहीं दूसरी तरफ यूरोपियन यूनियन के फैसले पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई और भारत ने इसे देश का आंतरिक मामला बताते हुए यूरोपियन यूनियन से अपील की है कि यूरोपीय
संसद को ऐसी कार्रवाई नही करनी चाहिए जिससे लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई भारत की विधायिका के अधिकारों पर प्रश्न खड़े हो।
भारत ने इस बात की भी उम्मीद जताई है कि यूरोपीय संसद में इस प्रस्ताव को लाने वाले और इसका समर्थन करने वाले लोग सभी तथ्यों को समझने के लिए भारत सरकार के अधिकारियों से संपर्क कर सकते है।