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18 जुलाई को सावन का पहला प्रदोष व्रत, इन मंत्रों का करें जाप

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता हैं, प्रदोष व्रत में शिव की पूजा की जाती हैं, यह व्रत हिंदू धर्म के सबसे शुभ व महत्वपूर्ण व्रतों में से एक हैं श्रावण में आने वाले प्रदोष व्रत का महत्व तो और भी अधिक होता हैं। चंद्र कैलेंडर के मुताबिक प्रदोष व्रत चंद्र मास
18 जुलाई को सावन का पहला प्रदोष व्रत, इन मंत्रों का करें जाप

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता हैं, प्रदोष व्रत में शिव की पूजा की जाती हैं, यह व्रत हिंदू धर्म के सबसे शुभ व महत्वपूर्ण व्रतों में से एक हैं श्रावण में आने वाले प्रदोष व्रत का महत्व तो और भी अधिक होता हैं। 18 जुलाई को सावन का पहला प्रदोष व्रत, इन मंत्रों का करें जापचंद्र कैलेंडर के मुताबिक प्रदोष व्रत चंद्र मास के 13वें दिन पर रखा जाता हैं। ऐसा माना जाता हैं कि प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती हैं श्रावण मास का पहला प्रदोष व्रत इस बार शनिवार 18 जुलाई को पड़ रहा हैं, तो आइए जानते हैं प्रदोष व्रत का महत्व।18 जुलाई को सावन का पहला प्रदोष व्रत, इन मंत्रों का करें जाप

जानिए प्रदोष व्रत में पूजन का महत्व—
प्रदोष व्रत करने के लिए व्यक्ति को त्रयोदशी के दिन प्रात: सूर्य उदय से पूर्व उठना चाहिए। नित्यकर्मों से निवृत होकर, भगवान शिव का स्मरण करें। इस व्रत में आहार नहीं लिया जाता हैं पूरे दिन व्रत रखने के बाद सूर्यास्त से एक घंटा पहले, स्नान आदि कर श्वेत वस्त्र धारण किया जाता हैं। 18 जुलाई को सावन का पहला प्रदोष व्रत, इन मंत्रों का करें जापपूजन स्थल को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करने के बाद, गाय के गोबर से लीपकर, मंडप तैयार किया जाता हैं। अब इस मंडप में पांच रंगों का उपयोग करते हुए रंगोली बनाई जाती हैं। प्रदोष व्रत कि पूजा करने के लिए कुशा के आसन का प्रयोग किया जाता हैं। इस तरह पूजा की तैयारियां करके उतर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे और शिव का पूजन करें। पूजा में शिव के मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए भगवान शिव को जल चढ़ाना चाहिए।18 जुलाई को सावन का पहला प्रदोष व्रत, इन मंत्रों का करें जाप

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