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अब घर बनाने में काम आयेगी प्लास्टिक, खर्च भी आयेगा कम

हाल ही में गोवा के इंजिनियरिंग कॉलेज के शोधकर्ताओं ने ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी आॅफ बाथ शोधकर्ताओं के साथ मिलकर एक शोध किया। शोध में पाया कि कंक्रिट में 10 प्रतिशत तक बालू की जगह प्लास्टिक का इस्तेमाल करने की बात कही। इसका इस्तेमाल बालू की तरह न करके आंशिक रूप से किया जाना चाहिए। इस तकनीक का इस्तेमाल करके बालू की जरूरत को पूरा किया जा सकता है साथ ही प्लास्टिक कचरे का निपटान भी हो जायेगा
अब घर बनाने में काम आयेगी प्लास्टिक, खर्च भी आयेगा कम

जयपुर। वर्तमान में बढ़ती प्लास्टिक की समस्या को पर्यावरण को काफी खतरा उठाना पड़ रहा है। दुनियाभर में प्लास्टिक की इतनी मात्रा हो गयी है कि इसे खत्म नहीं किया जा सकता है। दुनिया में भारत भी एक ऐसा देश है जो प्लास्टिक की समस्या से जूझ रहा है।

अब घर बनाने में काम आयेगी प्लास्टिक, खर्च भी आयेगा कम

लेकिन हाल ही में इस प्लास्टिक के कचरे से बचने के लिए एक तरकीब सोची है, जिससे प्लास्टिक का उपयोग भी हो जायेगा और पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा में कमी आयेगी। दरअसल हाल ही में गोवा के इंजिनियरिंग कॉलेज के शोधकर्ताओं ने ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी आॅफ बाथ के साथ मिलकर एक शोध किया।

अब घर बनाने में काम आयेगी प्लास्टिक, खर्च भी आयेगा कम

इस शोध में पाया कि ​कंक्रिट में 10 प्रतिशत तक बालू की जगह प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे बालू की कमी और प्लास्टिक की बढ़ती मात्रा को भी संतुलित किया जा सकता है। अगर इस तकनीक का इस्तेमाल कंस्ट्रक्शन के काम में किया जाये, तो इससे कंस्ट्रक्शन का खर्च भी कम आयेगा और इससे लोगों के खर्च में भी कमी आयेगी।

अब घर बनाने में काम आयेगी प्लास्टिक, खर्च भी आयेगा कम

शोधकर्ता इसके संबंध में बताते है कि इसकों बालू की तरह इस्तेमाल करने के बजाय, इसका इस्तेमाल आंशिक रूप से किया जाये तो यह अच्छी तरह काम करेगी। इसके साथ ही ये मेटेरियल के साथ अच्छे से एडजस्ट हो जायेगी। इस तकनीक का इस्तेमाल करके बालू की जरूरत को पूरा किया जा सकता है साथ ही प्लास्टिक कचरे का निपटान भी हो जायेगा, जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक होते हैं।

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शोधकर्ता बताते है यह तकनीक पर्यावरण को प्लास्टिक के खतरे से बचाने के लिए एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। अगर भारत में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाये तो बहुत जल्द ही प्लास्टिक के खतरे से बचा जा सकता है।

हाल ही में गोवा के इंजिनियरिंग कॉलेज के शोधकर्ताओं ने ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी आॅफ बाथ शोधकर्ताओं के साथ मिलकर एक शोध किया। शोध में पाया कि ​कंक्रिट में 10 प्रतिशत तक बालू की जगह प्लास्टिक का इस्तेमाल करने की बात कही। इसका इस्तेमाल बालू की तरह न करके आंशिक रूप से किया जाना चाहिए। इस तकनीक का इस्तेमाल करके बालू की जरूरत को पूरा किया जा सकता है साथ ही प्लास्टिक कचरे का निपटान भी हो जायेगा अब घर बनाने में काम आयेगी प्लास्टिक, खर्च भी आयेगा कम

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