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पौधे भी होते है संगीत के शौकीन, गाने सुनकर तेजी से बढ़ते हैं

संगीत का नाम लेते ही मन में एक अलग ही सुकून महसूस होता है। कहते है कि संगीत हर दर्द की दवा है। यह बात न केवल इंसानों पर बल्कि पौधों पर भी लागू होती है। जी हां, दरअसल एक शोध से यह तथ्य मालूम चला है कि संगीत सुनने से पौधों का विकास तेजी
पौधे भी होते है संगीत के शौकीन, गाने सुनकर तेजी से बढ़ते हैं

संगीत का नाम लेते ही मन में एक अलग ही सुकून महसूस होता है। कहते है कि संगीत हर दर्द की दवा है। यह बात न केवल इंसानों पर बल्कि पौधों पर भी लागू होती है। जी हां, दरअसल एक शोध से यह तथ्य मालूम चला है कि संगीत सुनने से पौधों का विकास तेजी से होता है। इतना ही नहीं पौधों को हमारी तरह संगीत सुनना बहुत अच्छा लगता है। ऐसा कहा जाता है कि जब कोई व्यक्ति पौधों को खुद गाना गाकर सुनाता है तो वे और तेजी से विकास करते हैं। संगीत की मदद से पौधों को और ज्यादा मात्रा में कार्बन डाइआक्साइड मिल पाती है। यह बात शोधकर्ताओं ने साबित की है।

पौधे भी होते है संगीत के शौकीन, गाने सुनकर तेजी से बढ़ते हैं

दरअसल अन्नामलाई विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉक्टर टी. सी. सिंह ने एक प्रयोग किया था। उस प्रयोग में यह पाया गया कि जिन बीजों को मिट्टी में दबाने के बाद संगीत सुनाया गया, वे अपेक्षाकृत ज्यादा जल्दी उगते हैं, और बड़े होते हैं। इतना ही नहीं इन अंकुरित पौधों में अन्य पौधौं से कीहं ज्यादा संख्या में पत्ते पाए गए। साथ ही इनका आकार भी अन्य पौधों से ज्यादा बड़ा था। इससे एक बात तो साफ हो जाती है कि संगीत की संगत में पौधों का विकास बेहतरीन ढंग से होता है। वैज्ञानिकों का मानना हैं कि संगीत से पौधों के आनुवंशिक गुणसूत्र में बदलाव आने लगता है।

पौधे भी होते है संगीत के शौकीन, गाने सुनकर तेजी से बढ़ते हैं

कनाडा के एक इंजीनियर यूजीन कैनबी ने गेहूं के पौधे पर ऐसी ही एक प्रयोग किया था। उन्होंने इस पौधे को हर रोज़ वायलिन बजाकर सुनाया। उसके बाद उन्होंने एक गेहूं के दूसरे पौधे से इसके परिणामों की तुलना करके देखा तो नतीजें एकदम चौंकाने वाले थे। जिस पौधे को संगीत सुनाया गया, उसकी उपज में 66% तेजी पाई गई। वर्ष 1973 में फ्रांसिस ब्राउन नामक एक जीव विज्ञानी ने पौधों के तीन समूहों पर विभिन्न प्रकार के संगीत से संबंधित प्रयोग किए।

पौधे भी होते है संगीत के शौकीन, गाने सुनकर तेजी से बढ़ते हैं

इस शोध में पहले समूह को 8 घंटे तक तेज आवाज़ में म्यूजिक सुनाया गया। दूसरे समूह को तीन घंटे के लिए धीमी आवाज़ में संगीत सुनाया गय, जबकि तीसरे समूह को कुछ भी नहीं सुनाया गया। पहले समूह के सभी पौधे दो हफ्ते की अंदर ही मर गए, जबकि दूसरे समूह के पौधे ज्यादा स्वस्थ रहे, क्योंकि उन्हें नियंत्रित समयानुसार म्यूजिक सुनाया गया। वहीं तीसरे समूह की बृद्धि सामान्य ही थी। इस प्रयोग से यह मालूम चलता  है कि पौधों को नियमित तरीके से ही संगीत सुनाना सही है। पौधों को ज्यादा तेज संगीत की अपेक्षा मधुर और धीमी आवाज़ ज्यादा अच्छी लगती है।

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