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अंतरिक्ष में रहने से शारीरिक बदलाव होते हैं, नासा ने जुड़वा भाइयों पर प्रयोग किया

जयपुर। अब तक आपने अंतरिक्ष के बारे में सामान्य बातें ही सुनी होगी। आज हम आपको कुछ बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आप भी दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे। हाल ही में नासा ने एक नया शोध किया है, जिसके अनुसार अंतरिक्ष में रहने से मनुष्य की आनुवांशिक संरचना में काफी बदलाव आ जाता
अंतरिक्ष में रहने से शारीरिक बदलाव होते हैं, नासा ने जुड़वा भाइयों पर प्रयोग किया

जयपुर। अब तक आपने अंतरिक्ष के बारे में सामान्य बातें ही सुनी होगी। आज हम आपको कुछ बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आप भी दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे। हाल ही में नासा ने एक नया शोध किया है, जिसके अनुसार अंतरिक्ष में रहने से मनुष्य की आनुवांशिक संरचना में काफी बदलाव आ जाता है। यह शोध दो जुड़वा भाइयों पर किया गया है। रिसर्च के नतीजे बताते हैं कि अगर आप अंतरिक्ष में एक साल बिताते हैं तो इससे आपकी शक्ल के साथ जीन भी बदल जाते हैं।अंतरिक्ष में रहने से शारीरिक बदलाव होते हैं, नासा ने जुड़वा भाइयों पर प्रयोग किया

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने यह अनोखा प्रयोग दो हमशक्ल जुड़वां भाइयों पर किया था। हम आपको बता दे कि 5 बार अंतरिक्ष की सैर कर चुके अंतरिक्षयात्री स्कॉट केली और उनके हमशक्ल भाई मार्क केली पर यह शोध किया गया था। इस शोध के लिए नासा ने मार्च 2015 में स्कॉट केली को छठी बार लगभग एक साल के लिए अंतरिक्ष में भेजा था।अंतरिक्ष में रहने से शारीरिक बदलाव होते हैं, नासा ने जुड़वा भाइयों पर प्रयोग किया

अंतरिक्ष में 11 महीने बिताने से स्कॉट के शरीर में काफी परिवर्तन पाया गया। नासा की माने तो स्कॉट केली के 7 प्रतिशत जीन धरती पर लौटने तक काफी बदल चुके थे। इतना ही नहीं उनकी लंबाई में भी बदलाव आ गया था। जब इस प्रय़ोग के नतीजों को स्कॉट के जुड़वां भाई मार्क केली से मिलाया गया तो दोनों के जीन में काफी अंतर पाया गया। विश्लेषण से पता चला कि अंतरिक्ष में रहने से स्कॉट की आदते भी बदल गई थी।अंतरिक्ष में रहने से शारीरिक बदलाव होते हैं, नासा ने जुड़वा भाइयों पर प्रयोग किया

वैज्ञानिकों की माने तो अंतरिक्ष में भारहीनता, विकिरण, तनाव और भोजन में हुए परिवर्तन की वजह से ही इंसानी शरीर में भारी बदलाव आ जाते हैं। इतना ही नहीं इंसान के डीएनए और आरएनए भी स्पेस में बदल जाते हैं। जुड़वां भाइयों पर किए गए इस अध्ययन से अंतरिक्ष में इंसान के शरीर के व्यवहार को समझने में काफी मदद मिल पाएगी।

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