Corona In Villages:राजस्थान के गाँवों में भोपे उतार रहे कोरोना का भूत
कोरोना ने दुनियाभर मे लोगो की जान ले ली है। देश में तो कोरोना से इतनी जान जा चुकी है की सरकार आंकड़े तक छुपा रही है। लेकिन बावजूद इसके गाँवों में हाल बेहाल है। राजस्थान की बात करे तो यहाँ पर कोरोना की “गजब बेज्जती” की जा रही है। कोई कोरोना को हवाबाजी समझता है,तो कहीं पर कोरोना के इलाज के लिए सरकारी व्यवस्था डिब्बाबंद है। और ऐसे में फिर महात्मा गांधी की बात याद आती है की देश की आत्मा गाँवों में बस्ती है। सही बात है,इसी आत्मा के दर्शन नेताओ को चुनावके समय होते है। बाकी विकास का तो एनकाउंटर कर ही दिया गया है।
राजषानी जयपुर की बात करे तो यहाँ पर भी व्यवस्था यहाँ पर खुद पसरी हुई है। और जब राजधानी का ही ये हाल हो तो किसी और से क्या ही उम्मीद करनी। खैर दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के जरिये जानते है राजस्थान के गांवों के हाल
प्रतापगढ़ जिले के धरियावद उपखंड में ग्राम पंचायत और गांवों के अलावा यहाँ की ढाणियों में बहुत बुरे हाल है। लगभग हर घर में किसी न किसी को खासी बुखार है,लेकिन लोग इस्काइलाज डॉक्टर से करवाने के बजाय भोपो से करवाते है। लोगो मे डर की यदि डॉक्टर के पास गए तो वहां से सीधा क्वारंटाइन में भेज दिया जाएगा और लोगो को इस बात का भी डर है की अस्पताल में भर्ती हुए तो इनकी मौत हो जाएगी। खैर इस बीच लोगो ने खासी बुखार के लक्षण दिखने पर खुद को परिवार से अलग रखना शुरू कर दिया है,इससे संक्रमण और लोग तक नहीं फ़ैल रहा। धरियावद में करीब 30 गाँव में भी ऐसे ही हाल है। लेकिन बुरी बात ये है की स्वास्थ्य विभाग यहाँ पर कुम्भकरण की नींद सो चूका है और यहाँ पर सैंपल तक लेने केलिए नहीं आ रहा। बीते एक महीने में यहाँ पर करीब 10 लोगो कीमौत हो चुकी है।
दरअसल गाँवों मेकै तरह के भ्रम इस समय मौजूद है। कोरोना के टीको को लेकर गफलत है की ये सुरक्षित नहीं है,डॉक्टर के पास इलाज के लिए गए तो वो सीधे क्वारंटाइन सेंटर में भेज देंगे और वहां उनकी मौत हो जाएगी। और एक सच ये भी है की जब यहाँ पर स्वास्थ्य की सुविधा ही नहीं है तो फिर सीढ़ी सी बात है की लोगो को उसकी याद या फिर उस पर भरोसा करना वैसे भी मुश्किल ही होगा।
उदयपुर जिले में वल्लभनगर उपखंड के गाँवो में कोरोना को भूत माना जा रहा है। यहाँ पर लोग ऐसे ही भोपो आदि के पास जाकर कोरोना का भूत उतरवा रहे है। बहरहाल इस बीच बुरी बात तो ये भी है की स्वास्थ्य विभाग सैंपल ही नहीं लेता है। वार्ना यहाँ पर कोरोना का हाल ये है की एकतिहाई आबादी को यहाँ कोरोना हो चुका है।
जयपुर के दूदू, फागी, चाकसू, बगरू, सांभर, शाहपुरा, कोटपूतली तहसील के गांवों में में भी कॉरोनके बुरे हाल है। स्वास्थ्य विभाग के कमजोर होने के चलते यहाँ पर भी लोग लाचार है। लेकिन कमाल बात ये है की यहाँ पर हो रही मौत महामारी के श्रेणी में नहीं गिनी जा रही है। बहरहाल यहाँ के गाँवों में बीते 20 दिन में फागी में 30, कोटपूतली में 75 और बस्सी में 50 लोग मर चुके है।
ऐसे ही हाल राजस्थान के अन्य गांव में भी देखने को मिल जाएंगे। सिर्फ राजस्थान ही क्यों,पंजाब,मध्य प्रदेश,हरियाणा जैसे कई राज्यों में ऐसी बेबसी देखें को मिली है। खबर पढ़ते समय ऐसा जरूर लगता होगा की कोई इतना मुर्ख कैसे हो सकता है की कोरोना के इलाज के लिए भोपो के पास जाए लेकिन सच तो ये भी है की जब स्वास्थ्य विभाग में लोगो की मौजूदगी न के बराबर रही हो और लोगो तक स्वास्थ्य के विषय में जागरूकता न फैलाई जाए तो वे एकदम से कैसे अस्पतालों का रुख करे।
रूढ़िवाद की बेड़िया तब टूटती है जब नवीनता दिखाई दे,एक नया युग स्वागत कर रहा हो,लेकिन जब सामने और कोई विकल्प ही न हो,तो कोई कैसे मौजूदा हालत से तौबा कर पाएगा। शायद ये बात आप स्वीकार न कर पाए,मगर इस पर एकबार विचार जरूर कीजिएगा।