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लोग सफल महिलाओं से डर जाते हैं: स्वास्तिका मुखर्जी

दुष्कर्म की धमकियों के साथ ट्रोल का शिकार हुई लोकप्रिय बंगाली अभिनेत्री स्वस्तिका मुखर्जी ने हाल ही में बहुत सारी चुनौतियों का सामना किया है। अभिनेत्री का कहना है कि हमारे समाज में सफल महिलाओं को हमेशा निशाना बनाया जाता है और अपमानित किया जाता है। हालांकि उनका कहना है कि उन्होंने कभी भी लोगों
लोग सफल महिलाओं से डर जाते हैं: स्वास्तिका मुखर्जी

दुष्कर्म की धमकियों के साथ ट्रोल का शिकार हुई लोकप्रिय बंगाली अभिनेत्री स्वस्तिका मुखर्जी ने हाल ही में बहुत सारी चुनौतियों का सामना किया है। अभिनेत्री का कहना है कि हमारे समाज में सफल महिलाओं को हमेशा निशाना बनाया जाता है और अपमानित किया जाता है।

हालांकि उनका कहना है कि उन्होंने कभी भी लोगों को अपने जीवन में चुने गए विकल्पों को लेकर खुद को शर्मिंदा महसूस नहीं कराने दिया है।

स्वास्तिका ने आईएएनएस से कहा, “हमारे समाज में, लोग सफल महिलाओं से भयभीत हो जाते हैं और इसलिए आपको ट्रोल करना और अपमानित करना शुरू कर देते हैं। हमारी कड़ी मेहनत को हमेशा नजरअंदाज किया जाता है और हमारी प्रतिभा की कदर नहीं की जाती है। अगर हम दिखने में अच्छे और सफल हैं तो हमारे बारे में बातें होती ही हैं और वे कहते हैं, ‘वो पक्का सोती होगी’। अगर मैं कड़ी मेहनत से पैसे कमा कर महंगी गाड़ी खरीद ली तो वे कहते हैं ‘ये पक्का उसके बोस ने गिफ्ट किया होगा’। जब एक आदमी वही कार खरीदता है, तो समाज उसकी कड़ी मेहनत के फलस्वरूप उसे देखता है! लेकिन ईमानदारी से कहूं तो मैं इस तरह की आलोचना से मुक्त हूं।”

उन्होंने आगे कहा, “अब, जब मैं इस तरह का कुछ भी सुनती हूं, तो मैं कहती हूं ‘हां, भगवान ने मुझे सुंदर पैर दिए हैं, मैं इसके साथ क्या करती हूं, यह मेरी मर्जी है।’ मुझे जीवन में अपनी पसंद और मुझे मिली सफलता पर शर्म नहीं आती, क्योंकि मुझे ये सारी चीजें एक रात में नहीं मिली हैं। मैं साल 2000 से काम कर रही हूं।

कई बांग्ला हिट फिल्मों के अलावा स्वस्तिका ने बॉलीवुड फिल्में जैसे ‘दिल बेचारा’ और ‘डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी!’ के अलावा वेब सीरीज ‘पाताल लोक’ में भी काम किया है। वह दिग्गज बंगाली अभिनेता संतू मुखर्जी की बेटी हैं, लेकिन स्वास्तिका कभी भी अभिनेत्री नहीं बनना चाहती थी।

स्वास्तिका ने याद करते हुए कहा, “मेरे पिता कभी फिल्म के सेट पर नहीं ले गए। जब भी मेरी बहन और मैं उनसे पूछते कि क्या हम उनके सेट पर आ सकते हैं, तो बाबा जवाब देते, ‘क्या तुम्हारे दोस्त अपने पिता के दफ्तर जाते हैं? मेरी फिल्म का सेट मेरा कार्यस्थल, मेरा ऑफिस है। आप मेरे ऑफिस में क्यों आएंगी?”

उन्होंने आगे कहा, “इसलिए, जब तक मैं अपने डेब्यू टीवी शो की शूटिंग के लिए नहीं गई, मुझे शूटिंग के बारे में कुछ भी पता नहीं था। लेकिन ईमानदारी से कहूं तो मैं मेरे पहले शो में बहुत बुरी थी और लोग मेरे पिता का नाम लेकर मुझे ताना मारने लगे। यही वह समय था जब मैंने महसूस किया कि मुझे अपना 100 प्रतिशत अभिनय के लिए देना है। मुझे लगता है कि शो ‘एक आकाशेर नीचे’ ने मेरे लिए सब कुछ बदल दिया। मैंने करीब तीन साल तक इस पर काम किया।”

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

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