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Pausha putrada ekadashi vrat katha: संतान प्राप्ति की कामना के लिए रखा जाता है पौष पुत्रदा एकादशी व्रत, जानिए कथा

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को बहुत ही पवित्र और पुण्यदायी माना जाता हैं वही पुत्रदा एकादशी भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित होता हैं। संतान की लंबी उम्र और संतान प्राप्ति की कामना करने वाली महिलाएं पुत्रदा एकादशी का व्रत करती हैं पुत्रदा एकादशी को साल में दो बार रखा जाता हैं यह व्रत
Pausha putrada ekadashi vrat katha: संतान प्राप्ति की कामना के लिए रखा जाता है पौष पुत्रदा एकादशी व्रत, जानिए कथा

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को बहुत ही पवित्र और पुण्यदायी माना जाता हैं वही पुत्रदा एकादशी भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित होता हैं। संतान की लंबी उम्र और संतान प्राप्ति की कामना करने वाली महिलाएं पुत्रदा एकादशी का व्रत करती हैं पुत्रदा एकादशी को साल में दो बार रखा जाता हैंPausha putrada ekadashi vrat katha: संतान प्राप्ति की कामना के लिए रखा जाता है पौष पुत्रदा एकादशी व्रत, जानिए कथा यह व्रत हर महीने की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहा जाता हैं साल की पहली पुत्रदा एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी या पौष शुक्ल पुत्रदा एकादशी के नाम से जानते हैं यह एकादशी दिसंबर या जनवरी महीने में पड़ती हैं दूसरी पुत्रदा एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहा जाता हैं यह जुलाई या अगस्त के महीने में पड़ती हैं तो आज हम आपको पौष पुत्रदा एकादशी व्रत से जुड़ी कथा बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं। Pausha putrada ekadashi vrat katha: संतान प्राप्ति की कामना के लिए रखा जाता है पौष पुत्रदा एकादशी व्रत, जानिए कथाजानिए पुत्रदा एकादशी व्रत कथा—
कथाओं के मुताबिक भद्रावती राज्य में सुकेतुमान नाम का राजा राज्य करता था। उसकी पत्नी शैव्या थी। राजा के पास सबकुछ था, केवल संतान नहीं थी। ऐसे में राजा और रानी उदास और चिंतित रहा करते थे। राजा के मन में पिंडदान की चिंता सताने लगी। ऐसे में एक दिन राजा ने दुखी होकर अपने प्राण लेने का मन बना लिया, पाप के डर से उसने यह विचार त्याग दिया। राजा का एक दिन मन राजपाठ में नहीं लग रहा था। जिसके कारण वह जंगल की ओर चला गया।Pausha putrada ekadashi vrat katha: संतान प्राप्ति की कामना के लिए रखा जाता है पौष पुत्रदा एकादशी व्रत, जानिए कथा

राजा को जंगल में पक्षी और जानवर दिखाई दिए। राजा के मन में बुरे विचार आने लगे। इसके बाद राजा दुखी होकर एक तालाब किनारे बैठ गए। तालाब के किनारे ऋशि मुनियों के आश्रम बने हुए थे। राजा आश्रम में गए और ऋषि मुनि राजा को देखकर प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा कि राजन आप अपनी इच्छा बताए। Pausha putrada ekadashi vrat katha: संतान प्राप्ति की कामना के लिए रखा जाता है पौष पुत्रदा एकादशी व्रत, जानिए कथाराजा ने अपने मन की चिंता मुनियों को बताई राजा की चिंता सुनकर मुनि ने कहा कि एक पुत्रदा एकादशी हैं मुनियों ने राजा को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने को कहा। राजा ने उसी दिन से इस व्रत को रखा और द्वादशी को इसका ​पारण किया। इसके फल स्वरूप रानी ने कुछ दिनों बाद गर्भ धारण किया और नौ माह बाद राजा को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। Pausha putrada ekadashi vrat katha: संतान प्राप्ति की कामना के लिए रखा जाता है पौष पुत्रदा एकादशी व्रत, जानिए कथा

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