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Pauranik katha: जब नारद मुनि ने जाना कि भगवान विष्णु को कौन है सर्वाधिक प्रिय

हिंदू धर्म में भगवान विष्णु विशेष मानी जाती हैं वही अभी अधिकमास चल रहा हैं इस महीने के देवता भगवान श्री विष्णु हैं तो आज हम आपको श्री विष्णु से जुड़ी एक पौराणिक कथा बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं। कथा अनुसार नारदजी एक बार वैकुण्ड आए। वहां, उन्होंने देखा कि भगवान विष्णु
Pauranik katha: जब नारद मुनि ने जाना कि भगवान विष्णु को कौन है सर्वाधिक प्रिय

हिंदू धर्म में भगवान विष्णु विशेष मानी जाती हैं वही अभी अधिकमास चल रहा हैं इस महीने के देवता भगवान श्री विष्णु हैं तो आज हम आपको श्री विष्णु से जुड़ी एक पौराणिक कथा बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं। कथा अनुसार नारदजी एक बार वैकुण्ड आए। वहां, उन्होंने देखा कि भगवान विष्णु किसी चित्र को बनाने में लगे हैं विष्णु जी के आस पास शिव, ब्रह्मा आदि कई देवगण विष्णु का कृपाकटाक्ष पाने के लिए उत्सुक थे। Pauranik katha: जब नारद मुनि ने जाना कि भगवान विष्णु को कौन है सर्वाधिक प्रियमगर भगवान को उनकी तरफ देखने की फुरसत नहीं थी। चित्र बनाने में डूबे हुए भगवान विष्णु को नारद की तरफ देखने का भी वक्त नहीं था। विष्णु की तरफ से हो रहा यह व्यवहार नारदी को जरा भी पसंद नहीं आ रहा था। उन्हें बेहद अपमानित महसूस हो रहा था। क्रोध में वे श्री विष्णु के पास गए और उनके पास खड़ी लक्ष्मी से उन्होंने पूछा आज इतनी तन्मयता के साथ विष्णु किसका चित्र बना रहे हैं। Pauranik katha: जब नारद मुनि ने जाना कि भगवान विष्णु को कौन है सर्वाधिक प्रियमाता लक्ष्मी ने कहा अपने सबसे बड़े भक्त का, आपसे भी बड़े भक्त का, उन्होंने पास जाकर देखा तो वो आश्चर्य से अचंभित हो गए। विष्णु ने एक मैले कुचैले अर्धनग्न मनुष्य की तस्वीर बनाई थी। यह देख नारद जी को और भी क्रोध आ गया। वे वापस भूलोक चले गए। कई दिनों तक उन्होंने भ्रमण किया। उन्होंने इस दौरान देखा कि एक अत्यंत गंदी जगह पर पशु चर्मों से घिरा एक चर्मकार था जो गंदगी और पसीने से लथपथ चमड़ों के ढेर को साफ कर रहा था। Pauranik katha: जब नारद मुनि ने जाना कि भगवान विष्णु को कौन है सर्वाधिक प्रियजब नारद ने उसे देखा तो उन्हें लगा कि विष्णु इसी की तस्वीर बना रहे थे। उस व्यक्ति में से इतनी दुर्गंध आ रही थी कि नारद उनसे पास नहीं जा पाए। वे अदृश्य हो गए और दूर से ही उसे देखने लगे। सुबह से शाम हो गई मगर वो चर्मकार न तो मंदिर गया और न ही आंख मूंदकर भगवान का स्मरण किया। यह देख नारद को क्रोध आ गया। उन्हें लगा कि विष्णु ने चर्मकार को उनसे श्रेष्ठ बताकर उनका अपमान किया हैं। जैसे जैसे रात होने लगी। वैसे वैसे नारद के मन की अस्थिरता भी बढ़ने लगी।Pauranik katha: जब नारद मुनि ने जाना कि भगवान विष्णु को कौन है सर्वाधिक प्रिय

यह देश विष्णु को श्राप देने के लिए नारद ने अपनी बाहु उठाई मगर इतने में ही लक्ष्मी ने उनका हाथ पकड़ लिया। लक्ष्मी ने कहा देव भक्त की उपासना का उपसंहार तो देख लीजिए। इसके बाद जो करना हो करें। उस चर्मकार ने सभी चमड़ों को समेटा और एक गठरी में बांध दिया। Pauranik katha: जब नारद मुनि ने जाना कि भगवान विष्णु को कौन है सर्वाधिक प्रियफिर एक वस्त्र लिया और खुद को पोछा। फिर गठरी के सामने झुककर कहा प्रभो दया करना। कल भी ऐसा ही काम देना कि पूरे दिन पसीना बहाकर तेरी ही हुई इस चाकरी में पूरा दिन गुजार दूं। यह देख। यह देख नारद जी को यकीन हो चला कि वह चर्मकार विष्णु को क्यों सबसे अधिक प्रिय हैं। इसका सीधा अर्थ यह है कि जिस मनुष्य ने अपनी आजीविका को ही प्रभु माना था और वह अपने काम में तल्लीन होकर काम कर रहा हैं वो उनको बहुत अधिक प्रिय हैं। Pauranik katha: जब नारद मुनि ने जाना कि भगवान विष्णु को कौन है सर्वाधिक प्रिय

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