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Pauranik katha: शनिदेव की वक्र दृष्टि से बचने के लिए भगवान शिव ने किया था यह काम, पढ़ें पौराणिक कथा

हिंदू धर्म में शनिदेव को न्याय प्रिय देवता माना गया हैं शनिदेव हर मनुष्य को उसके कर्मों के अनुरूप ही फल प्रदान करते हैं नौ ग्रहों में से एक मुख्य ग्रह शनि ही हैं ऐसा कहा जाता हैं कि सभी ग्रहों में से सबसे धीमे शनि ग्रह चलते हैं इसी के चलते इन्हीं शनैश्चर कहा
Pauranik katha: शनिदेव की वक्र दृष्टि से बचने के लिए भगवान शिव ने किया था यह काम, पढ़ें पौराणिक कथा

हिंदू धर्म में शनिदेव को न्याय प्रिय देवता माना गया हैं शनिदेव हर मनुष्य को उसके कर्मों के अनुरूप ही फल प्रदान करते हैं नौ ग्रहों में से एक मुख्य ग्रह शनि ही हैं ऐसा कहा जाता हैं कि सभी ग्रहों में से सबसे धीमे शनि ग्रह चलते हैं इसी के चलते इन्हीं शनैश्चर कहा जाता हैं। आज शनिवार का दिन हैं यह दिन शनिदेव महाराज का दिन होता हैं तो आज हम आपको शनिदेव और शिव से जुड़ी एक पौराणिक कथा बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं। Pauranik katha: शनिदेव की वक्र दृष्टि से बचने के लिए भगवान शिव ने किया था यह काम, पढ़ें पौराणिक कथाकथा के मुताबिक शनिदेव हर मनुष्य को उसके कर्मों के मुताबिक ही फल प्रदान करते हैं शनिदेव को दंडाधिकारी भी कहते हैं न्याय करते समय शनि को भेदभाव नहीं करता हैं साथ ही किसी से प्रभावित भी नहीं होते हैंPauranik katha: शनिदेव की वक्र दृष्टि से बचने के लिए भगवान शिव ने किया था यह काम, पढ़ें पौराणिक कथा कुछ पौराणिक कथाओं के मुताबिक शिव को ही शनि का गुरु बताया गया हैं ऐसा कहते हैं कि शनि को शिव की कृपा से ही दंडाधिकारी चुना गया था। एक बार शिव जी कैलाश पर विराजमान थे। वहां उनके दर्शन करने शनिदेव आए। उन्होंने शिव को प्रणाम किया और क्षमा मांगते हुए कहा कि हे भोलेनाथ, मैं आपकी राशि में प्रवेश करने वाला हूं। ऐसे में आप मेरी वक्र दृष्टि से आप नहीं बच पाएंगे।Pauranik katha: शनिदेव की वक्र दृष्टि से बचने के लिए भगवान शिव ने किया था यह काम, पढ़ें पौराणिक कथा

तब शिव ने पूछा कि वक्र दृष्टि कब तक रहेगी। शनिदेव ने कहा कल सवा पहल तक। शिव शनिदेव की वक्र दृष्टि से बचने के लिए अगले दिन हाथी बन गए और फिर पृथ्वी लोक पर भ्रमण करने लगे। फिर कुछ दिनों बाद जब शिव वापस आए तो उन्होंने शनिदेव से कहा कि वो उनकी वक्र दृष्टि से बच गए हैं। Pauranik katha: शनिदेव की वक्र दृष्टि से बचने के लिए भगवान शिव ने किया था यह काम, पढ़ें पौराणिक कथायह सुनकर ​शनिदेव मुस्कुराए और कहा कि आप मेरी दृष्टि के कारण ही पूरे दिन पृथ्वी लोक पर हाथी बनकर भ्रमण कर रहे थे। शनिदेव ने शिव से कहा कि मेरे ही राशि भ्रमण का परिणा था कि आप पशु योनी में चले गए थे। यह सुन शिव बहुत प्रसन्न हुए और शनिदेव उन्हें और भी अच्छे लगने लगे। Pauranik katha: शनिदेव की वक्र दृष्टि से बचने के लिए भगवान शिव ने किया था यह काम, पढ़ें पौराणिक कथा

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