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क्षमा वीरस्य भूषणं, केवल बड़ों से ही क्षमा नहीं

क्षमापर्व जैन धर्म में मनया जाने वाला ऐसा पावन पर्व होता हैं जो पर्युषण पर्व या दसलक्षण पर्व के अंतिम दिन आकर समूचे देशवासियों को सुख शांति का संदेश देता हैं वही यह पावन और पवित्र पर्व केवल जैन समाज को ही नहीं बल्कि सभी समाज जन को अपने अहंकार और क्रोध का त्याग करके धैर्य के रथ पर सवार होकर सादा जीवन जीने, वही उच्च विचारों को अपनाने की प्ररेणा प्रदान करता हैं
क्षमा वीरस्य भूषणं, केवल बड़ों से ही क्षमा नहीं

पर्युषण पर्व जैन धर्म के लिए बहुत ही खास पर्व माना जाता हैं, वही क्षमापर्व जैन धर्म में मनया जाने वाला ऐसा पावन पर्व होता हैं जो पर्युषण पर्व या दसलक्षण पर्व के अंतिम दिन आकर समूचे देशवासियों को सुख शांति का संदेश देता हैं वही यह पावन और पवित्र पर्व केवल जैन समाज को ही नहीं बल्कि सभी समाज जन को अपने अहंकार और क्रोध का त्याग करके धैर्य के रथ पर सवार होकर सादा जीवन जीने, क्षमा वीरस्य भूषणं, केवल बड़ों से ही क्षमा नहींवही उच्च विचारों को अपनाने की प्ररेणा प्रदान करता हैं। क्षमा भाव के बारे में भगवान महावीर कहते हैं, कि क्षमा वीरस्य भूषणं, इसका मतलब यह हैं कि क्षमा वीरों का आभूषण होता है क्षमा पर्व की समाज व राष्ट्र के निर्माण में अधिक भूमिका होती हैं वही क्षमा का मार्ग अतुलनीय होता हैं सबसे बड़ा बल क्षमा हैं।क्षमा वीरस्य भूषणं, केवल बड़ों से ही क्षमा नहीं

अगर इसका सही ढंग से, सही जगह पर प्रयोग किया जाए तो निश्चित रूप से यह सर्वशक्तिमान हैं अगर क्रोध ही सर्वशक्तिमान होता और क्षमा निर्बल होती तो धरती पर इतने युद्ध होने के बाद भी सारी समस्याएं हल हो जानी चाहिए थी। पर नहीं हो पाई। क्षमा वीरस्य भूषणं, केवल बड़ों से ही क्षमा नहींवही क्षमा हमें पापों से दूर करनके मोक्ष मार्ग दिखाती हैं, किसी भी धर्म की किताब का अगर हम अनुसरण करते हैं, तो उसमें भी क्षमा भाव को ही सबसे अधिक महत्व दिया गया। परिवर्तन ही प्रकृति का नियम माना जाता हैं, ऐसे में हमें परिवर्तन का मार्ग अपनाकर धर्म के सही रास्ते पर चलना चाहिए। यह पर्व हम सभी को सहनशीलता से रहने और जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान करता हैं।

क्षमापर्व जैन धर्म में मनया जाने वाला ऐसा पावन पर्व होता हैं जो पर्युषण पर्व या दसलक्षण पर्व के अंतिम दिन आकर समूचे देशवासियों को सुख शांति का संदेश देता हैं वही यह पावन और पवित्र पर्व केवल जैन समाज को ही नहीं बल्कि सभी समाज जन को अपने अहंकार और क्रोध का त्याग करके धैर्य के रथ पर सवार होकर सादा जीवन जीने, वही उच्च विचारों को अपनाने की प्ररेणा प्रदान करता हैं क्षमा वीरस्य भूषणं, केवल बड़ों से ही क्षमा नहीं

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