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क्या सता रहा असफल होने का डर, तो परशुराम जयंती पर पढ़ें ये आरती और स्तुति

कोरोना महामारी का कहर लगातार बढ़ता जा रहा हैं इस महामारी के कारण लोगों को असफल होने डर और कई तरह के भय सता रहे हैं ऐसे में आज भगवान परशुराम जी का जन्मोत्सव भी मनाया जा रहा हैं भगवान परशुराम श्री विष्णु के छठे अवतार हैं, धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक परशुराम का जन्म अक्षय
क्या सता रहा असफल होने का डर, तो परशुराम जयंती पर पढ़ें ये आरती और स्तुति

कोरोना महामारी का कहर लगातार बढ़ता जा रहा हैं इस महामारी के कारण लोगों को असफल होने डर और कई तरह के भय सता रहे हैं ऐसे में आज भगवान परशुराम जी का जन्मोत्सव भी मनाया जा रहा हैं भगवान परशुराम श्री विष्णु के छठे अवतार हैं, धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया के पावन दिन हुआ था।क्या सता रहा असफल होने का डर, तो परशुराम जयंती पर पढ़ें ये आरती और स्तुति इस साल 14 मई दिन शुक्रवार यानी आज अक्षय तृतीया है इस दिन का बहुत अधिक महत्व होता हैं इस साल कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की वजह से घर में रहकर ही भगवान परशुराम की पूजा अर्चना करें। भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के दिन ये आरती और स्तुति करने से जातक को किसी भी तरह का भय नहीं सताता हैं और हर काम में सफलता प्राप्त होती हैं।क्या सता रहा असफल होने का डर, तो परशुराम जयंती पर पढ़ें ये आरती और स्तुति

भगवान परशुराम की आरती—

शौर्य तेज बल-बुद्धि धाम की॥

रेणुकासुत जमदग्नि के नंदन।
कौशलेश पूजित भृगु चंदन॥
अज अनंत प्रभु पूर्णकाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥

नारायण अवतार सुहावन।
प्रगट भए महि भार उतारन॥
क्रोध कुंज भव भय विराम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥

परशु चाप शर कर में राजे।
ब्रह्मसूत्र गल माल विराजे॥
मंगलमय शुभ छबि ललाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥

जननी प्रिय पितृ आज्ञाकारी।
दुष्ट दलन संतन हितकारी॥
ज्ञान पुंज जग कृत प्रणाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥

परशुराम वल्लभ यश गावे।
श्रद्घायुत प्रभु पद शिर नावे॥
छहहिं चरण रति अष्ट याम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥

ऊॅं जय परशुधारी, स्वामी जय परशुधारी।

ऊॅं जय परशुधारी, स्वामी जय परशुधारी।
सुर नर मुनिजन सेवत, श्रीपति अवतारी।। ऊॅं जय।।

जमदग्नी सुत नरसिंह, मां रेणुका जाया।
मार्तण्ड भृगु वंशज, त्रिभुवन यश छाया।। ऊॅं जय।।

कांधे सूत्र जनेऊ, गल रुद्राक्ष माला।
चरण खड़ाऊँ शोभे, तिलक त्रिपुण्ड भाला।। ऊॅं जय।।

ताम्र श्याम घन केशा, शीश जटा बांधी।
सुजन हेतु ऋतु मधुमय, दुष्ट दलन आंधी।। ऊॅं जय।।

मुख रवि तेज विराजत, रक्त वर्ण नैना।
दीन-हीन गो विप्रन, रक्षक दिन रैना।। ऊॅं जय।।

कर शोभित बर परशु, निगमागम ज्ञाता।
कंध चार-शर वैष्णव, ब्राह्मण कुल त्राता।। ऊॅं जय।।

माता पिता तुम स्वामी, मीत सखा मेरे।
मेरी बिरत संभारो, द्वार पड़ा मैं तेरे।। ऊॅं जय।।

अजर-अमर श्री परशुराम की, आरती जो गावे।
पूर्णेन्दु शिव साखि, सुख सम्पति पावे।। ऊॅं जय।।क्या सता रहा असफल होने का डर, तो परशुराम जयंती पर पढ़ें ये आरती और स्तुति

परशुराम स्तुति पाठ—

कुलाचला यस्य महीं द्विजेभ्यः प्रयच्छतः सोमदृषत्त्वमापुः।
बभूवुरुत्सर्गजलं समुद्राः स रैणुकेयः श्रियमातनीतु॥

नाशिष्यः किमभूद्भवः किपभवन्नापुत्रिणी रेणुका
नाभूद्विश्वमकार्मुकं किमिति यः प्रीणातु रामत्रपा।
विप्राणां प्रतिमंदिरं मणिगणोन्मिश्राणि दण्डाहतेर्नांब्धीनो
स मया यमोऽर्पि महिषेणाम्भांसि नोद्वाहितः॥

पायाद्वो यमदग्निवंश तिलको वीरव्रतालंकृतो
रामो नाम मुनीश्वरो नृपवधे भास्वत्कुठारायुधः।

येनाशेषहताहिताङरुधिरैः सन्तर्पिताः पूर्वजा
भक्त्या चाश्वमखे समुद्रवसना भूर्हन्तकारीकृता॥

द्वारे कल्पतरुं गृहे सुरगवीं चिन्तामणीनंगदे पीयूषं
सरसीषु विप्रवदने विद्याश्चस्रो दश॥
एव कर्तुमयं तपस्यति भृगोर्वंशावतंसो मुनिः
पायाद्वोऽखिलराजकक्षयकरो भूदेवभूषामणिः॥

॥ इति परशुराम स्तुति ॥क्या सता रहा असफल होने का डर, तो परशुराम जयंती पर पढ़ें ये आरती और स्तुति

 

 

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