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जीवों को संरक्षित किया जायेगा3-डी कृत्रिम उत्तकों के द्वारा

जयपुर। प्रयोगशाला में एक चीज़ को बनाने के लिए कई जीवों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें ये बिना किसी कारण के ही भेंट चढ़ जाते है। इनको बचाने के लिए अब ऐसी तरकीब निकाली है कि इससे इन जीवों की बेवजह भेंट नहीं चढ़ेगी। आपको तो पता ही है कि कई देशों में जीवों
जीवों को संरक्षित किया जायेगा3-डी कृत्रिम उत्तकों के द्वारा

जयपुर। प्रयोगशाला में एक चीज़ को बनाने के लिए कई जीवों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें ये बिना किसी कारण के ही भेंट चढ़ जाते है। इनको बचाने के लिए अब ऐसी तरकीब निकाली है कि इससे इन जीवों की बेवजह भेंट नहीं चढ़ेगी। आपको तो पता ही है कि कई देशों में जीवों की जगह उनके पारदर्शी मॉडल भी प्रयुक्त किये जा रहे हैं। इन मॉडल्स की मदद से जंतुओं की हत्याओं में कमी देखी जा रही हैं ये बहुत ही शानदार तकनीक है लेकिन शोधकर्ताओं के सामने ये सबसे बड़ी चुनौती हैजीवों को संरक्षित किया जायेगा3-डी कृत्रिम उत्तकों के द्वारा

कि इन कृत्रिम जीवों पर सफल प्रयोग कैसे किये जा सकता है? इसके  लिए वैसे तो नई तकनीक से ऐसे कृत्रिम उत्तक तैयार किये गये हैं, जो रिसर्च में मददगार साबित हो सकते हैं। जानकारी दे दे कि इस नई तकनीक को यूडिस्को (अल्टीमेट 3-डी इमेजिंग ऑफ़ सोल्वेंट क्लीयर्ड ओरगंस) नाम दिया गया है। वैज्ञानिकों को ये बात चूहों पर किये गये प्रयोगों के दौरान पता चली है। शोधकर्ताओं ने जब चूहों पर जेनेटिक प्रयोग तो ज्ञात हुआ कि उस प्रक्रिया में एक खास प्रोटीन का निर्माण होता है जो कि यह विशेष प्रोटीन लेजर स्केनिंग सूक्ष्मदर्शी से देखे जाने पर हरे रंग में चमकता है। बता दे कि इस प्रोटीन की मदद से ऐसे कृत्रिम अंगोंजीवों को संरक्षित किया जायेगा3-डी कृत्रिम उत्तकों के द्वारा

का निर्माण किया गया है, जो असली अंगों की तरह शोध में प्रयुक्त किये जा सकते हैं तो इसकी मदद से लैब में इसका प्रयोग कर जानवरों को बचाया जा सकता है और इसी के साथ इसकी खास बात तो ये है कि इसके प्रयोग के तुरंत बाद विशेष तरल पदार्थ से इन अंगों को धोकर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने इसके बारे में बताया कि इस प्रोटीन की सहायता से शोध में प्रयोग किये जाने वाले जानवरों की आंतरिक संरचना की दृश्यता को भी बढ़ाया जा सकता है।जीवों को संरक्षित किया जायेगा3-डी कृत्रिम उत्तकों के द्वारा

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