अगर 30 सेकेंड पहले या बाद में वह धूमकेतु धरती से टकराता, तो आज ज़िंदा होते डायनासोर
जयपुर। डायनासोर युग के अंत के बारे में अक्सर कहा जाता है कि एक बहुत बड़े धूमकेतु के धरती से टकराने की वजह से वह डायनासोर युग खत्म हुआ था। दरअसल उस विशाल ऐस्टरॉइड की धरती से टक्कर ही इतनी खतरनाक थी कि उसके बाद हुए विस्फोट ने इन विशालकाय जानवरों का अस्तित्व ही पूरी तरह से नष्ट कर दिया। हाल ही में बीबीसी ने एक वृत्तचित्र जारी करके नई बहस को जन्म दे दिया है। दरअसल बीबीसी का कहना है कि इस विस्फोट की टाइमिंग से बहुत कुछ बदल सकता था।
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द डे डायनासोर डाइड नामक इस डॉक्युमेंट्री में यह बताया गया है कि जिस धूमकेतु ने डायनासोर युग का अंत किया था अगर वह धरती से 30 सेकंड पहले या बाद में टकराता तो शायद उतनी तबाही नहीं मचती। और फिर शायद आज भी डायनासोर्स का वजूद इस पृथ्वी पर कायम रहता। हालांकि कई वैज्ञानिकों ने इस अवधारणा को सिरे से ही नकार दिया हैं।
हालांकि वृत्तचित्र में बाकायदा इसकी वैज्ञानिक वजह भी बताई गई है। कहा जा रहा है कि अगर वह उल्कापिंड 30 सेकंड की देरी या जल्दी गिरता तो फिर वह धरती की बजाए किसी समुद्र में गिर सकता था। गौरतलब है कि यह विशालकाय ऐस्टरॉइड करीबन 6.6 करोड़ साल पहले मेक्सिको के युकटॉन प्रायद्वीप से टकराया था। इसी वजह से वहां पर 111 मील चौड़ा और 20 मील गहरा गड्ढा बन गया था। वैज्ञानिकों ने गड्ढे की जांच में वहां की चट्टानों से सल्फर की मात्रा पाई है।
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अनुमान लगाय जा रहा है कि करीब नौ मील दूरी जितने बड़े आकार के और 40 हजार मील प्रति घंटे की रफ्तार वाले इस महाप्रलयकारी उल्कापिंड ने धरती पर ऐसा तांडव मचाया था कि उसके आगे महाकाय डायनासोर्स भी चींटी की तरह मसल दिए गए। इस डॉक्यूमेंट्री में यही दर्शाया गया है कि अगर वह ऐस्टरॉइड कुछ सेकंड जल्दी या देर से गिरा होता तो वह सीधा अटलांटिक या प्रशांत महासागर में जाकर गिरता। इस तरह हो सकता था कि समुद्र का पानी भाप बन कर उड़ गया होता, लेकिन इससे डायनासोर युग का अंत नहीं होता।