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श्रावण के पहले मंगलवार को करें भगवान शिव की ॐ जय गंगाधर आरती का पाठ, मिलेगा शुभ फल

जयपुर । आज श्रावण मास का पहला मंगलवार हैं। ऐसा कहा जाता है कि श्रावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। तथा इस महीने में भगवान शिव जी की अराधना करने से वे अपने भक्तों से जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन आज का दिन भगवान हनुमान जी को समर्पित माना जाता है।ष
श्रावण के पहले मंगलवार को करें  भगवान शिव की ॐ जय गंगाधर आरती  का पाठ, मिलेगा शुभ फल

जयपुर । आज श्रावण मास का पहला मंगलवार हैं।  ऐसा कहा जाता है कि श्रावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। तथा इस महीने में भगवान शिव जी की अराधना करने से वे अपने भक्तों से जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन आज का दिन भगवान हनुमान जी को समर्पित माना जाता है।ष इस लिए आज के दिन हनुमान जी तथा भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व हैं। आज हम आपके लिए इस आर्टिकल में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव की आरती ॐ जय गंगाधर लेकर आए हैं। जिसके जरिए आप भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते हैं।
श्रावण के पहले मंगलवार को करें  भगवान शिव की ॐ जय गंगाधर आरती  का पाठ, मिलेगा शुभ फल
ॐ जय गंगाधर जय हर जय गिरिजाधीशा।
त्वं मां पालय नित्यं कृपया जगदीशा॥ हर…॥
कैलासे गिरिशिखरे कल्पद्रमविपिने।
गुंजति मधुकरपुंजे कुंजवने गहने॥

कोकिलकूजित खेलत हंसावन ललिता।
रचयति कलाकलापं नृत्यति मुदसहिता ॥ हर…॥

तस्मिंल्ललितसुदेशे शाला मणिरचिता।
तन्मध्ये हरनिकटे गौरी मुदसहिता॥

क्रीडा रचयति भूषारंचित निजमीशम्‌।
इंद्रादिक सुर सेवत नामयते शीशम्‌ ॥ हर…॥

बिबुधबधू बहु नृत्यत नामयते मुदसहिता।
किन्नर गायन कुरुते सप्त स्वर सहिता॥
धिनकत थै थै धिनकत मृदंग वादयते।
क्वण क्वण ललिता वेणुं मधुरं नाटयते ॥हर…॥

रुण रुण चरणे रचयति नूपुरमुज्ज्वलिता।
चक्रावर्ते भ्रमयति कुरुते तां धिक तां॥

तां तां लुप चुप तां तां डमरू वादयते।
अंगुष्ठांगुलिनादं लासकतां कुरुते ॥ हर…॥

कपूर्रद्युतिगौरं पंचाननसहितम्‌।
त्रिनयनशशिधरमौलिं विषधरकण्ठयुतम्‌॥
सुन्दरजटायकलापं पावकयुतभालम्‌।
डमरुत्रिशूलपिनाकं करधृतनृकपालम्‌ ॥ हर…॥

मुण्डै रचयति माला पन्नगमुपवीतम्‌।
वामविभागे गिरिजारूपं अतिललितम्‌॥

सुन्दरसकलशरीरे कृतभस्माभरणम्‌।
इति वृषभध्वजरूपं तापत्रयहरणं ॥ हर…॥

शंखनिनादं कृत्वा झल्लरि नादयते।
नीराजयते ब्रह्मा वेदऋचां पठते॥

अतिमृदुचरणसरोजं हृत्कमले धृत्वा।
अवलोकयति महेशं ईशं अभिनत्वा॥ हर…॥
ध्यानं आरति समये हृदये अति कृत्वा।
रामस्त्रिजटानाथं ईशं अभिनत्वा॥

संगतिमेवं प्रतिदिन पठनं यः कुरुते।
शिवसायुज्यं गच्छति भक्त्या यः श्रृणुते ॥ हर…॥

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