जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए आज पढें सूर्य देव की इस आरती को
जयपुर। हिन्दू धर्म में भगवान सूर्य को सौरमंडल का स्वामी माना जाता है। हिन्दू धर्म में भगवान सूर्य ही ऐसे देव हैं जो साक्षात दिखाई देते हैं। अगर किसी की कुड़ली में सूर्य का स्थिती कमजोर है तो व्यक्ति परेशान रहने लगता है। सूर्य के दोष के कारण व्यक्ति के करियर में रुकावट आती है।
कुंड़ली में सूर्य की स्थिती को मजबूत करने के लिए रविवार के दिन सूर्य की विधि-विधान से पूजा व्रत करने से कुंड़ली में सूर्य की स्थिती को मजबूत होती है। सफलता, मानसिक शांति और शक्ति का के लिए भी सूर्य की पूजा की जातीनहै। आज सूर्यदेव की पूजा को सम्पन्न करने के लिए इस आरती का प्रयोग करें।
ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्र स्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान।।
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटी किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान ।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधुली बेला में हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान ।।
देव दनुज नर नारी ऋषी मुनी वर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्त्रोत ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान ।।
तुम हो त्रिकाल रचियता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल बृद्धि और ज्ञान ।।
भूचर जल चर खेचर, सब के हो प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद पुराण बखाने धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्व शक्तिमान ।।
पूजन करती दिशाएं पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशमान ।।
ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत के नेत्र रूवरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान।।