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अब कई करोड़ो की सैटेलाइट की जगह अंतरिक्ष में काम आयेंगे गुब्बारे

जयपुर। जब आप भविष्य में अपने घर की खिड़की खोलोगे तो आपको तारों से भरा आसमान नजर आयेगा। पहले हम धरती से ऊपर कि ओर देख कर तारे गिना करते है लेकीन भविष्य में हम तारों के जहांन में होकर तारे गिन सकते है। और जब नीचे निगाहे डालेंगे तो नीली धरती चमकती दिखाई देगी
अब कई करोड़ो की सैटेलाइट की जगह अंतरिक्ष में काम आयेंगे गुब्बारे

जयपुर। जब आप भविष्य में अपने घर की खिड़की खोलोगे तो आपको तारों से भरा आसमान नजर आयेगा। पहले हम धरती से ऊपर कि ओर देख कर तारे गिना करते है लेकीन भविष्य में हम तारों के जहांन में होकर तारे गिन सकते है। और जब नीचे निगाहे डालेंगे तो नीली धरती चमकती दिखाई देगी है। हम चांद-तारों के बीच बैठकर ये ख़ूबसूरत नज़ारा देख पायेंगे। चांद-तारों को छूने का एहसास अब वैज्ञानिक बुहत ही तेजी से कर रहे हैं। कई वैज्ञानीकों ने मिल कर अंतरिक्ष यान नहीं बल्कि एक बड़ा सा गुब्बारा बनाया है।अब कई करोड़ो की सैटेलाइट की जगह अंतरिक्ष में काम आयेंगे गुब्बारे

जिसमें चीन ने अंतरिक्ष में भेजा है जिसमें नागरिक ही हैं। वैसे तो आज की तारीख़ में अंतरिक्ष की बात करें, तो अमरीका दुनिया की सबसे बड़ी ताक़त है। लेकीन स्पेस रेस में अब बड़े से बड़े सैटेलाइट लॉन्च करने के बजाय गुब्बारों से अंतरिक्ष में नई छलांग लगाई जा रही है। आपको बता दे की गुब्बारे अंतरिक्ष में बहुत काम के हो सकते हैं। वैज्ञानीकों का कहना है की इसे धरती से क़रीब 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित कर के संचार और निगरानी के साथ इंटरनेट सेवाएं देने का काम में भी लिया जा सकता है।अब कई करोड़ो की सैटेलाइट की जगह अंतरिक्ष में काम आयेंगे गुब्बारे

और साथ ही किसी उपग्रह के मुक़ाबले ये गुब्बारे बहुत सस्ते पड़ते हैं। तो इससे काम बहुत ही आसान हो जायेगा। इस समय अमरीकी एजेंसी गुब्बारों का इस्तेमाल वायुमंडलीय शोध के लिए करती है। धरती पर ब्रह्मांड से आने वाली किरणों का अध्ययन करती है। ये गुब्बारे प्लास्टिक से बने होते हैं इनमें हीलियम गैस भरी होती है। ये अपनी जगह से उड़कर दूसरी जगह पर चले जाते हैं। वैज्ञानीकों ने इसका भी एक रास्ता खोज लिया है।अब कई करोड़ो की सैटेलाइट की जगह अंतरिक्ष में काम आयेंगे गुब्बारे

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