SOCIAL MEDIA MANIPUR : सोशल मीडिया के नए नियमो के तहत मणिपुर में पत्रकार को भेजा गया नोटिस
केंद्र सरकार ने हाल ही सोशल मीडिया और OTT प्लेटफार्म को लेकर नए दिशा निर्देश जारी किये है। नए नियमो के अंतर्गत मणिपुर में एक पत्रकार को नोटिस भेजे जाने का मामला सामने आया है। हालाँकि केंद्र सरकार को जब इस मामले का पता चला तो उसने स्थित साफ़ करते हुए कहा की नए नियम किसी भी तरह से राज्य के अधिकारियों को इस तरह के शक्तिया नहीं देते है। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा जिलाधिकारी द्वारा लिए गए इस एक्शन को सरकार ने अतिक्रमण करार दिया है। वहीँ पत्रकार पॉजेल चाओबा को भेजा गया नोटिस कुछ घंटी बाद वापस ले लिया गया है।
इस मामले को लेकर केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव अमित खरे ने मणिपुर के मुख्य सचिव राजेश कुमार से पत्र लिखा है। एक मार्च को भेजे इस पत्र में इम्फाल वेस्ट के डीएम नोआराम प्रवीन सिंह और खन्नासी नीनासी के प्रकाशक के बारे में बताया गया है।
मंत्रालय से जुड़े टॉप सूत्रों ने बताया के इन नए नियमो को लेकर राज्य सरकारों के अधिकारियों के पास कोई शक्ति नहीं दी गयी है। मामले की जानकारी मिलने के बाद मंत्रालय ने तुरंत हस्तक्षेप करा और खानसी नीनासी के प्रकाशक को भेजा गया नोटिस तुरंत वापस लिया गया।
हाल ही में जारी किये है नए नियम
मालूम हो की केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में सोशल प्लेटफार्म को लेकर नए दिशा निर्देश जारी किये गए है। इन नए नियमो के तहत पहला नोटिस मणिपुर के एक टॉक शो को भेजा गया। ये टॉक शो वर्तमान के करंट अफयर्स और खबरों को लेकर आधारित था , जिसका प्रसारण सोशल मीडिया के जरिये किया जाता रहा है।
क्या कहते है नियम
नए आईटी नियमों के अध्याय V के अनुसार, “समाचार और करंट अफेयर्स कंटेंट का प्रकाशक और भारत के क्षेत्र में काम करने वाले ऑनलाइन क्यूरेट कंटेंट का प्रकाशक, मंत्रालय को ऐसे दस्तावेजों के साथ सूचना प्रस्तुत करके अपनी इकाई के विवरण के बारे में सूचित करना चाहिए। जैसा कि संचार और समन्वय को सक्षम करने के उद्देश्य से निर्दिष्ट किया जा सकता है। ”
नियमों का कहना है कि इन नियमों के प्रकाशन के तीस दिनों की अवधि के भीतर या भारत में इसके संचालन की शुरुआत की तारीख से तीस दिनों के भीतर सूचना को सुसज्जित किया जाना चाहिए। नियमों में कहा गया है कि समाचार आउटलेट को प्राप्त शिकायतों और कार्रवाई के विवरणों का उल्लेख करते हुए हर महीने एक आवधिक अनुपालन रिपोर्ट प्रकाशित करने की आवश्यकता है और केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय समय-समय पर जानकारी मांग सकता है।