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पूर्वोत्तर के 4 राज्यों में लागू inner line permit हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं : केंद्र

पूर्वोत्तर के राज्यों के कुछ हिस्सों में जाने के लिए जरूरी इनर लाइन परमिट(आईएलपी) को हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। केंद्र सरकार ने रविवार को यह बात स्पष्ट कर दी। केंद्र सरकार ने लोकसभा में हुए एक सवाल के जवाब में बताया है कि अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर और नागालैंड के हिस्सों में लागू
पूर्वोत्तर के 4 राज्यों में लागू inner line permit हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं : केंद्र

पूर्वोत्तर के राज्यों के कुछ हिस्सों में जाने के लिए जरूरी इनर लाइन परमिट(आईएलपी) को हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। केंद्र सरकार ने रविवार को यह बात स्पष्ट कर दी। केंद्र सरकार ने लोकसभा में हुए एक सवाल के जवाब में बताया है कि अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर और नागालैंड के हिस्सों में लागू इनर लाइन परमिट को हटाने की कोई तैयारी नहीं है। सरकार के जवाब से साफ है कि इन राज्यों के संबंधित हिस्सों में जाने के लिए भारतीयों को भी इनर लाइन परमिट लेना जरूरी रहेगा।

दरअसल, आंध्र प्रदेश के लोकसभा सांसद तालारी रंगैय्या ने रविवार को गृहमंत्री से एक अतारांकित सवाल में पूछा था कि क्या सरकार इनर-लाइन परमिट को पूरी तरह से खत्म करना चाहती है? पूर्वोत्तर भारत के राज्यों, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर और नागालैंड की यात्रा के लिए इनर लाइन परमिट प्राप्त करने की आवश्यकता के पीछे क्या कारण हैं? सांसद ने यह भी सवाल उठाया कि आजादी के 74 साल बाद भी इनर लाइन परमिट(बंगाल पूर्वी सीमान्त विनियमन अधिनियम 1873 का विस्तार) को न हटाने के क्या कारण हैं?

गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने इस सवाल का रविवार को लिखित में जवाब देते हुए बताया कि इनर लाइन परमिट(आईएलपी) सिस्टम को खत्म करने का सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं है। वर्ष 1873 में बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेग्यूलेशन के साथ आईएलपी सिस्टम अस्तित्व में आया। यह अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड के कुछ हिस्सों में अस्तित्व में है।

उन्होंने बताया कि जनजातियों की संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करने और जनजातीय भूमि पर उनके स्वामित्व की रक्षा करने और संसाधनों को बचाने के लिए इनर लाइन परमिट व्यवस्था लागू की गई थी।

क्या है इनर लाइन परमिट?

इनर लाइन परमिट को एक प्रकार से वीजा ऑन अराइवल कह सकते हैं। देश में आज भी कुछ राज्य ऐसे हैं, जहां भारतीयों को भी जाने के लिए अनुमति लेनी होती है। इसी अनुमति को इनर लाइन परमिट कहते हैं। यह एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज होता है। पूर्वोत्तर भारत में नागालैंड, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के कुछ हिस्सों में आज भी यह व्यवस्था चली आ रही है। कोई भारतीय बगैर अनुमति लिए इन राज्यों में इनर लाइन परमिट वाले हिस्से में नहीं घुस सकता। इस व्यवस्था को वन नेशन, वन पीपुल की भावना के खिलाफ माना जाता है। पिछले साल जब मोदी सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था, तब से इनर लाइन परमिट के भविष्य पर भी बहस छिड़ी थी। हालांकि, उस समय भी गृहमंत्रालय ने साफ किया था कि नागालैंड आदि राज्यों से इनर लाइन परमिट हटाने की कोई योजना नहीं है।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

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