जानिए निर्जला एकादशी व्रत के बारे में कुछ विशेष बातें
जयपुर । हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व हैं, एकादशी का दिन भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। एकादशी में सबसे महत्वपूर्ण एकादशी होती है निर्जला एकादशी। निर्जला एकादशी को सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है। निर्जला एकादशी ज्येष्ठ महीने की शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को कहा जाता है। आज निर्जला एकादशी है।
आज भगवान विष्णु की पूजा-अराधना की जाती है। एकादशी में विष्णु की पूजा आराधना का विशेष महत्व है। साथ ही एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक निर्जल (बिना पानी के) व्रत रखने का महत्व है। निर्जला एकादशी के दिन उपवास करने से पूरे साल भर में आने वाली सारी एकादशी व्रत का फल प्राप्त होगा। जानते हैं निर्जला एकादशी से जुड़ी कुछ अहम बातों को
– शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि निर्जला एकादशी के दिन व्रत के दिन चंद्रमा से उत्पन्न हुआ नकारात्मक प्रभाव को समाप्त किया जा सकता है।
– निर्जला एकादशी का उपवास रखने से ध्यान लगाने की क्षमता में वृद्धी होती है।
-निर्जला एकादशी पर अगर भक्त पूरी रात जागकर भगवान विष्णु की पूजा करे तो जीवन में इसका सकारात्मक प्रभाव पडता है।
-शास्त्रों में माना जाता है कि निर्जला एकादशी की रात सोना वर्जित बताया गया है, व्रत की रात सोने से शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
-निर्जला एकादशी के दिन भक्त को ‘ओम नमोः भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करना चाहिए।
– निर्जला एकादशी के दिन ब्राह्मणों को सामर्थ के अनुसार दान देना चाहिए।
– एकादशी के दिन चावल खाना मना होता है। इसलिए कोशिश करें की एकादशी के दिन चावल न खाने की।
– एकादशी व्रत करने वाले को द्वादशी की सुबह व्रत का पारायण करना चाहिए।