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ना भाजपा से और ना ही जेडीयू से गुप्तेश्वर पांडे को मिला टिकट

गुप्तेश्वर पांडे जिन्होंने हाल ही में बिहार पुलिस के महानिदेशक के पद से वॉलिंटियर रिटायरमेंट लेकर राजनीति में आने का फैसला किया था उन्हें नाही जेडीयू के प्रत्याशियों की सूची में शामिल किया गया और ना ही भाजपा के। वह बक्सर से बीजेपी का टिकट पाना चाहते थे लेकिन इस बार उन्हें सिर्फ निराशा ही
ना भाजपा से और ना ही जेडीयू से गुप्तेश्वर पांडे को मिला टिकट

गुप्तेश्वर पांडे जिन्होंने हाल ही में बिहार पुलिस के महानिदेशक के पद से वॉलिंटियर रिटायरमेंट लेकर राजनीति में आने का फैसला किया था उन्हें नाही जेडीयू के प्रत्याशियों की सूची में शामिल किया गया और ना ही भाजपा के। वह बक्सर से बीजेपी का टिकट पाना चाहते थे लेकिन इस बार उन्हें सिर्फ निराशा ही हाथ लगी। पिछले ही माह उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन डाला था जो कि तुरंत ही स्वीकार कर लिया गया माना जाता है कि यह गुप्तेश्वर पांडे ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कहने पर किया है और नीतीश कुमार के कहने पर ही वह अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने के लिए सोच रहे थे। इसके बाद बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की उनकी पूरी उम्मीद जताई जा रही थी।
गुप्तेश्वर पांडे ने अपने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के 2 दिन बाद ही अपनी राजनीति में उतरने का ऐलान कर दिया था उनका मानना है कि राजनीति जनता की सेवा करने के लिए सबसे अच्छा मंच है। सोशल मीडिया पर “मेरी कहानी मेरी जुबानी” शीर्षक के तहत लोगों के साथ संवाद करते हुए गुप्तेश्वर पांडे ने कहा, ‘अगर मौका मिला और इस योग्य समझा गया कि मुझे राजनीति में आना चाहिए तो मैं आ सकता हूं लेकिन वे लोग निर्णय करेंगे जो हमारी मिट्टी के हैं, बिहार की जनता है और उसमें पहला हक तो बक्सर के लोगों का है जहां मैं पला—बढ़ा हूं.’ उन्होंने कहा, ‘राजनीति में आने का अब मेरा मन हो गया है. अब स्थिति ऐसी बन गई है कि मुझे लगता है कि अब इसमें आ जाना चाहिए.’

गुप्तेश्वर पांडेय चूंकि नीतीश कुमार से प्रेरित होकर राजनीति में आए हैं इसलिए उनके जेडीयू में शामिल होकर उसी के टिकट पर चुनाव लड़ने की प्रबल संभावनाएं जताई जा रही थीं लेकिन जेडीयू के उम्मीदवारों की सूची में उनका नाम नहीं है।
पांडे ने अपने फेसबुक अकाउंट से लिखा कि “अपने शुभचिंतकों के फोन से मैं परेशान हो गया हूं मैं जानता हूं कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद सबको उम्मीद थी कि मैं विधानसभा चुनाव लड़ूंगा लेकिन इस बार में चुनाव नहीं लड़ रहा। हताश निराश होने की कोई बात नहीं है. धीरज रखें. मेरा जीवन संघर्ष में ही बीता है. मैं जीवन भर जनता की सेवा में रहूँगा। कृपया धीरज रखें और मुझे फ़ोन नहीं करे. बिहार की जनता को मेरा जीवन समर्पित है. अपनी जन्मभूमि बक्सर की धरती और वहाँ के सभी जाति मज़हब के सभी बड़े-छोटे भाई-बहनों माताओं और नौजवानों को मेरा पैर छू कर प्रणाम! अपना प्यार और आशीर्वाद बनाए रखें !

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