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नवरात्रि स्पेशल : पहले नवरात्रे में करें देवी शैलपुत्री की पूजा....

शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ के शुक्लपक्ष पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रों में भी मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की पूजा की जाती है। इस साल गुप्त नवरात्रि 3 जुलाई अर्थात कल से शुरु होने जा रहे हैं। इस दिन लोग मां दुर्गा का आर्शिवाद प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं। तथा 9 दिनों तक देवी मां की विधि विधान से पूजा करते हैं। मां दुर्गा को सर्वप्रथम शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार हिमालय के यहां पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण उनको शैलपुत्री के रुप में जाना जाता है
नवरात्रि स्पेशल :  पहले  नवरात्रे में करें देवी शैलपुत्री की पूजा....

जयपुर । शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ के शुक्लपक्ष पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रों में भी मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की पूजा की जाती है। इस साल गुप्त नवरात्रि 3 जुलाई अर्थात कल से शुरु होने जा रहे हैं। इस दिन लोग मां दुर्गा का आर्शिवाद प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं। तथा 9 दिनों तक देवी मां की विधि विधान से पूजा करते हैं। मां दुर्गा को सर्वप्रथम शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार हिमालय के यहां पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण उनको शैलपुत्री के रुप में जाना जाता है।
नवरात्रि स्पेशल :  पहले  नवरात्रे में करें देवी शैलपुत्री की पूजा....

हिन्इदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार माता शैलपुत्री का वाहन वृषभ है। इसलिए माता शैलपुत्री को देवी वृषारूढ़ा के नाम से भी जाना जाता हैं। देवी शैलपुत्री ने दाएं हाथ में त्रिशूल धारण किया हुआ है। तथा बाएं हाथ में कमल धारण किया हुआ है। शैलपुत्र को सती के नाम से भी जाना जाता हैं। शैलपुत्री मां दुर्गा का प्रथम स्वरुप हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल देवी शैलपुत्री की मार्मिक कहानी बताने जा रहे हैं। पहले नवरात्रे को देवी शैलपुत्री की ये कहानी सुनने से लाभ होता है। तथा मनचाहे फल की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि स्पेशल :  पहले  नवरात्रे में करें देवी शैलपुत्री की पूजा....
देवी शैलपुत्री की कथा।
एक बार जब प्रजापति ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित किया, भगवान शंकर को नहीं। सती यज्ञ में जाने के लिए विकल हो उठीं। शंकरजी ने कहा कि सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया है, उन्हें नहीं। ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है।

सती का प्रबल आग्रह देखकर शंकरजी ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। सती जब घर पहुंचीं तो सिर्फ मां ने ही उन्हें स्नेह दिया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव थे। भगवान शंकर के प्रति भी तिरस्कार का भाव है। दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक वचन कहे। इससे सती को क्लेश पहुंचा।

नवरात्रि स्पेशल :  पहले  नवरात्रे में करें देवी शैलपुत्री की पूजा....
वे अपने पति का यह अपमान न सह सकीं और योगाग्नि द्वारा अपने को जलाकर भस्म कर लिया। इस दारुण दुःख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने उस यज्ञ का विध्वंस करा दिया। यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं। पार्वती और हेमवती भी इसी देवी के अन्य नाम हैं। शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शंकर से हुआ। शैलपुत्री शिवजी की अर्द्धांगिनी बनीं। इनका महत्व और शक्ति अनंत है।
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देवी शैलपुत्री का मंत्र

वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌ ।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥

शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ के शुक्लपक्ष पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रों में भी मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की पूजा की जाती है। इस साल गुप्त नवरात्रि 3 जुलाई अर्थात कल से शुरु होने जा रहे हैं। इस दिन लोग मां दुर्गा का आर्शिवाद प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं। तथा 9 दिनों तक देवी मां की विधि विधान से पूजा करते हैं। मां दुर्गा को सर्वप्रथम शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार हिमालय के यहां पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण उनको शैलपुत्री के रुप में जाना जाता है नवरात्रि स्पेशल : पहले नवरात्रे में करें देवी शैलपुत्री की पूजा....

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