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नवरात्रि स्पेशल: देवी भगवती को प्रिय है अर्गलास्तोत्रम्, अवश्य पढ़ें,

हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ के शुक्लपक्ष पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। गुप्त नवरात्रों में दुर्गा के 9 रुपों की पूजा की जाती है। इस साल गुप्त नवरात्रि 3 जुलाई अर्थात कल से शुरु होने जा रहे हैं। इस दिन लोग मां दुर्गा का आर्शिवाद प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं। तथा 9 दिनों तक देवी मां की विधि विधान से पूजा करते हैं। जीवन में सुख-शांति, मनोवांछित फल तथा अन्न-धन, वस्त्र-यश आदि की प्राप्ति के लिए नवरात्रों में दुर्गा सप्तशती का नियमित रुप से 9 दिनों तक पाठ करना फलदायी रहता है। वहीं अगर आप नवरात्रों में कीलक स्तोत्रम, देवी कवच या अर्गलास्तोत्र का पाठ करते हैं तो आप पर देवी मां की कृपा जरुर होगी।
नवरात्रि स्पेशल:  देवी भगवती को प्रिय है अर्गलास्तोत्रम्, अवश्य पढ़ें,

जयपुर। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ के शुक्लपक्ष पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। गुप्त नवरात्रों में दुर्गा के 9 रुपों की पूजा की जाती है। इस साल गुप्त नवरात्रि 3 जुलाई अर्थात कल से शुरु होने जा रहे हैं। इस दिन लोग मां दुर्गा का आर्शिवाद प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं। तथा 9 दिनों तक देवी मां की विधि विधान से पूजा करते हैं। जीवन में सुख-शांति, मनोवांछित फल तथा अन्न-धन, वस्त्र-यश आदि की प्राप्ति के लिए नवरात्रों में दुर्गा सप्तशती का नियमित रुप से 9 दिनों तक पाठ करना फलदायी रहता है। वहीं अगर आप नवरात्रों में कीलक स्तोत्रम, देवी कवच या अर्गलास्तोत्र का पाठ करते हैं तो आप पर देवी मां की कृपा जरुर होगी।
नवरात्रि स्पेशल:  देवी भगवती को प्रिय है अर्गलास्तोत्रम्, अवश्य पढ़ें,
अस्यश्री अर्गला स्तोत्र मंत्रस्य विष्णुः ऋषि:। अनुष्टुप्छन्द:। श्री महालक्षीर्देवता। मंत्रोदिता देव्योबीजं।
नवार्णो मंत्र शक्तिः। श्री सप्तशती मंत्रस्तत्वं श्री जगदन्दा प्रीत्यर्थे सप्तशती पठां गत्वेन जपे विनियोग:।।

ध्यानं

ॐ बन्धूक कुसुमाभासां पञ्चमुण्डाधिवासिनीं।
स्फुरच्चन्द्रकलारत्न मुकुटां मुण्डमालिनीं।।
त्रिनेत्रां रक्त वसनां पीनोन्नत घटस्तनीं।
पुस्तकं चाक्षमालां च वरं चाभयकं क्रमात्।।
दधतीं संस्मरेन्नित्यमुत्तराम्नायमानितां।
नवरात्रि स्पेशल:  देवी भगवती को प्रिय है अर्गलास्तोत्रम्, अवश्य पढ़ें,
या चण्डी मधुकैटभादि दैत्यदलनी या माहिषोन्मूलिनी,
या धूम्रेक्षन चण्डमुण्डमथनी या रक्त बीजाशनी।
शक्तिः शुम्भनिशुम्भदैत्यदलनी या सिद्धि दात्री परा,
सा देवी नव कोटि मूर्ति सहिता मां पातु विश्वेश्वरी।।

ॐ नमश्चण्डिकायै
मार्कण्डेय उवाच

ॐ जयत्वं देवि चामुण्डे जय भूतापहारिणि।
जय सर्व गते देवि काल रात्रि नमोस्तुते।।1।।
नवरात्रि स्पेशल:  देवी भगवती को प्रिय है अर्गलास्तोत्रम्, अवश्य पढ़ें,
मधुकैठभविद्रावि विधात्रु वरदे नमः।
ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।।2।।

दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।3।।
नवरात्रि स्पेशल:  देवी भगवती को प्रिय है अर्गलास्तोत्रम्, अवश्य पढ़ें,
महिषासुर निर्नाशि भक्तानां सुखदे नमः।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।4।।

धूम्रनेत्र वधे देवि धर्म कामार्थ दायिनि।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।5।।

हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ के शुक्लपक्ष पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। गुप्त नवरात्रों में दुर्गा के 9 रुपों की पूजा की जाती है। इस साल गुप्त नवरात्रि 3 जुलाई अर्थात कल से शुरु होने जा रहे हैं। इस दिन लोग मां दुर्गा का आर्शिवाद प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं। तथा 9 दिनों तक देवी मां की विधि विधान से पूजा करते हैं। जीवन में सुख-शांति, मनोवांछित फल तथा अन्न-धन, वस्त्र-यश आदि की प्राप्ति के लिए नवरात्रों में दुर्गा सप्तशती का नियमित रुप से 9 दिनों तक पाठ करना फलदायी रहता है। वहीं अगर आप नवरात्रों में कीलक स्तोत्रम, देवी कवच या अर्गलास्तोत्र का पाठ करते हैं तो आप पर देवी मां की कृपा जरुर होगी। नवरात्रि स्पेशल: देवी भगवती को प्रिय है अर्गलास्तोत्रम्, अवश्य पढ़ें,

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