Samachar Nama
×

NASA ने चंद्रयान-2 की लैंडिंग साइट की तस्वीरें रिलीज की है।

हाल ही मे चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के बाद नासा ने भी तीन दिन पहले लैंडर विक्रम की लैंडिंग साइट की तस्वीरें ली हैं। नासा वैज्ञानिक इन तस्वीरों का अध्ययन कर रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि इन तस्वीरों के अध्ययन से कई अहम जानकारियां प्राप्त हो सकती हैं। हालांकि अभी ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि नासा के यान ने लैंडर विक्रम की तस्वीर ली है या नहीं।
NASA ने चंद्रयान-2  की लैंडिंग साइट की तस्वीरें रिलीज की   है।

भारत का दूसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-2 22 जुलाई को भारत से प्रक्षेपित किया गया था। और 14 अगस्त को यह पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकल गया। इसके बाद आज 20 अगस्त को चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की कक्षा मे प्रवेश किया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से मिली जानकारी के अनुसार  चंद्रयान-2 पर लगे दो मोटरों को सक्रिय करने से यह स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा की कक्षा में पहुँच गया। चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण देश के भारी वजन उठाने वाले रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लांच वेहिकल – मार्क 3 (जीएसएलवी एमके 3) से किया गया था। हाल  ही मे  चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के बाद नासा ने भी तीन दिन पहले लैंडर विक्रम की लैंडिंग साइट की तस्वीरें ली हैं।NASA ने चंद्रयान-2  की लैंडिंग साइट की तस्वीरें रिलीज की   है।

नासा का यान 17 सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव के ऊपर  उस जगह से गुजरा था, जहां विक्रम को लैंड करना था। यहां से गुजरते हुए नासा के यान ने कई तस्वीरें ली हैं। नासा वैज्ञानिक इन तस्वीरों का अध्ययन कर रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि इन तस्वीरों के अध्ययन से कई अहम जानकारियां प्राप्त हो सकती हैं।   हालांकि अभी ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि नासा के यान ने लैंडर विक्रम की तस्वीर ली है या नहीं। नासा के अनुसार वह तस्वीरों का विश्लेषण कर रही है। इसके बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि इनमें विक्रम की तस्वीर है या नहीं। अगर विक्रम की तस्वीर मिलती है तो उसकी स्थिति को लेकर भी कुछ नई जानकारी सामने आ सकती है।NASA ने चंद्रयान-2  की लैंडिंग साइट की तस्वीरें रिलीज की   है।

मालूम हो कि इससे पहले चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने भी विक्रम के लैडिंग साइट और चांद पर हुई उसकी हार्ड लैंडिंग की तस्वीरें ली थीं। इसरो वैज्ञानिक भी ऑर्बिटर से प्राप्त तस्वीरों का विश्लेषण कर रहे हैं।  वैज्ञानिक जॉल केलर ने कहा, ‘टीम पुरानी तस्वीरों से नई तस्वीरों की तुलना करेगी और यह जानने की कोशिश करेगी कि विक्रम उनमें दिख रहा है या नहीं। संभव है कि विक्रम पर कोई परछाई पड़ रही हो या वह तस्वीर के फ्रेम से बाहर रह गया हो।’ एलआरओ ने जिस समय तस्वीरें खींची थीं, वह लगभग लूनर डस्क जैसा समय था। इसका अर्थ है कि उस समय चांद के इस ओर का बड़ा हिस्सा परछाई में था। लैंडर और रोवर को चांद पर कुल 14 दिन ही काम करना था। इस हिसाब से 21 सितंबर तक ही लैंडर से संपर्क की उम्मीद है। कारण यह है कि इसके बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर रात हो जाएगी। यहां रात के दौरान तापमान बहुत नीचे चला जाता है।NASA ने चंद्रयान-2  की लैंडिंग साइट की तस्वीरें रिलीज की   है।

कई बार तापमान शून्य से 200 डिग्री नीचे तक चला जाता है। लैंडर और उसके अंदर फंसे रोवर पर जो वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं, उन्हें इतने कम तापमान पर काम करने लायक नहीं बनाया गया है। इस तापमान तक आते-आते कई उपकरण हमेशा के लिए खराब हो जाएंगे। चांद के दिन और रात धरती के 14-14 दिन के बराबर होते हैं।  Chandrayaan 2 मिशन के लैंडर विक्रम से दोबारा संपर्क स्थापित करने का ISRO के पास आज अंतिम मौका है।   आज देर रात तक इस अभियान का सबसे महत्वपूर्ण पल एक लूनर डे समाप्त हो जाएगा। इसके साथ ही लैंडर से दोबारा संपर्क होने की संभावनाएं भी लगभग खत्म हो जाएंगी।NASA ने चंद्रयान-2  की लैंडिंग साइट की तस्वीरें रिलीज की   है।

हाल ही मे चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के बाद नासा ने भी तीन दिन पहले लैंडर विक्रम की लैंडिंग साइट की तस्वीरें ली हैं। नासा वैज्ञानिक इन तस्वीरों का अध्ययन कर रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि इन तस्वीरों के अध्ययन से कई अहम जानकारियां प्राप्त हो सकती हैं। हालांकि अभी ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि नासा के यान ने लैंडर विक्रम की तस्वीर ली है या नहीं। NASA ने चंद्रयान-2 की लैंडिंग साइट की तस्वीरें रिलीज की है।

Share this story