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नासा को खबर भी नहीं कि धरती के क़रीब से गुज़र गया ये उल्कापिंड

जयपुर। अंतरिक्ष में अगर कोई संस्थान सबसे आगे है तो वो है नासा जो कई बेहतर तकनीक के साथ ब्रह्मांड का समझने की कोशिश कर रहा है। दुनिया में ब्रह्मांड की चीज़ों के बारे में अगर कई संस्थान समझती है वो नासा ही है। अंतरिक्ष के क्षेत्र में नासा को सिंकदर कहा जा सकता है।
नासा को खबर भी नहीं कि धरती के क़रीब से गुज़र गया ये उल्कापिंड

जयपुर। अंतरिक्ष में अगर कोई संस्थान सबसे आगे है तो वो है नासा जो कई बेहतर तकनीक के साथ ब्रह्मांड का समझने की कोशिश कर रहा है। दुनिया में ब्रह्मांड की चीज़ों के बारे में अगर कई संस्थान समझती है वो नासा ही है। अंतरिक्ष के क्षेत्र में नासा को सिंकदर कहा जा सकता है। लेकिन ये सिंकदर अब अपनी गुर में समा नहीं पा रहा है। नासा ने अंतरिक्ष में निगरानी के लिए शक्तिशाली हबल दूरबीन छोड़ रखी है जो कई तरह की गतिविधियों पर नजर रखती है। लेकिन आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी कि दिया तले अंधेरा। तो इसी बात को सच करती हैनासा को खबर भी नहीं कि धरती के क़रीब से गुज़र गया ये उल्कापिंड

नासा की ये हरकत। आपको बता दे कि नासा की नाक के नीचे एक उल्कापिंड धरती के करीब से गुजर गया और नासा को पता तक नहीं चला इस बात का। जी हां अपनी पैनी नजर के बावजूद भी इस विशालकाय उल्कापिंड को नहीं देख पाया है। जानकारी दे कि ये एस्‍ट्रॉयड की 15 अप्रैल 2018 को धरती के बिल्कुल करीब से गुज़रा था और नासा को इसकी खबर भी नहीं थी। नासा के अधिकारी समझ नहीं पा रहे हैं कि उनसे यह चूक कैसे हो गई कि विशालकाय उल्कापिंड पृथ्वी के बहुत ही समीप से गुज़रा और उनको किसी भी तरह की कोई जानकारी ही नहीं।नासा को खबर भी नहीं कि धरती के क़रीब से गुज़र गया ये उल्कापिंड

जानकारी मिली कि धूमकेतु जब धरती के करीब से गुजरा उस समय दोनों के बीच की दूरी केवल 1,92,000 किलोमीटर ही थी। एक काफी खतरनाक हादसा होते होते कैसे बच गया इसका अंदाजा भी नहीं लगया जा सकता था। नासा को जीई3 नामक इस उल्कापिंड को केवल 21 घंटे पहले ही देखा था। इस एस्ट्रॉयड ने तो खुद नासा की आंखों में ही धूल झोंक दी है और इसस बात को साबित कर दिया है कि इंसान कुदरत के आगे महज एक धूल है और कुछ भी नहीं।नासा को खबर भी नहीं कि धरती के क़रीब से गुज़र गया ये उल्कापिंड

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