नरक से मुक्ति दिलाती है नरक चतुर्दशी

आपको बता दें, कि दिवाली का पर्व महा पर्व के रूप में जाना जाता हैं वही दिवाली से पहले कई सारे पर्व आते हैं वही इस बार नरक चतुर्दशी 26 अक्टूबर को हैं इसे रूप चतुर्दशी के साथ साथ नरक चतुर्दशी भी कहा जाता हैं। कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि के अंत में जिस दिन चंद्रोदय के समय चतुर्दशी हो, उस दिन सुबह दातुन आदि करके कुछ श्लोक का जाप करें। यमलोकदर्शनाभवकामोअहमभ्यंकस्नानं करिष्ये’ कह कर संकल्प करें। वही शरीर में तिल के तेल आदि का उबटन लगा लें। हल से उखाड़ी मिट्टी का ढेला, अपामार्ग आदि को मस्तक के ऊपर बार बार घुमाकर शुद्ध स्नान करें। वैसे तो कार्तिक स्नान करने वालों के लिए ‘तैलाभ्यंग तथा शययां परन्ने कांस्यभोजनम्। कार्तिके वर्जयेद् यस्तु परिपूर्णव्रती भवेत’के मुताबिक वर्जित हैं निषेध हैं लेकिन ‘नरकस्य चतुर्दश्यां तैलाभ्यगं च कारयेत्। अन्यत्र कार्तिकस्नायी तैलाभ्यगं विवर्जयेत्॥’ के अनुसार नरक चतुर्दशी में तेल लगाना बहुत ही शुभ माना जाता हैं।
वही सूर्योदय से पहले नहाना आयुर्वेद की दृष्टि से अति उत्तम माना जाता हैं जो ऐसा हर दिन नहीं कर पाते हैं उन्हें कम से कम नरक चतुदर्शी के दिन तो सूर्योदय से पहले अवश्य ही नहा लेना चाहिए। वही वरुण देवता को स्मरण करते हुए स्नान करना चाहिए। नहाने के जल में हल्दी और कुमकुम अवश्य ही मिला लें। वही अगर संभव हो तो नए वस्त्र धारण करने चाहिए। फिर यम तर्पण करना चाहिए। शाम को यमराज के लिए दीपक भी जलाना चाहिए। यह शुभ माना जाता हैं।