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अगर आप भी किसी की 13वी पर खाते हैं मृत्युभोज, तो जान लें यह भयंकर बातें

जयपुर। हिन्दु धर्म में कई रीति रिवाज ऐसे है जो प्राचीन समय से अभी तक चले आ रहें है। इन रीति रिवाजों में कुछ तो व्यक्ति के जीवित रहने पर किये जाते है तो कुछ मृत्यु को बाद किये जाने वाले संस्कार है जिनको मरने के बाद करना अनिवार्य है। आज के समय में बहुत
अगर आप भी किसी की 13वी पर खाते हैं मृत्युभोज, तो जान लें यह भयंकर बातें

जयपुर। हिन्दु धर्म में कई रीति रिवाज ऐसे है जो प्राचीन समय से अभी तक चले आ रहें है। इन रीति रिवाजों में कुछ तो व्यक्ति के जीवित रहने पर किये जाते है तो कुछ मृत्यु को बाद किये जाने वाले संस्कार है जिनको मरने के बाद करना अनिवार्य है। आज के समय में बहुत से रीति रिवाज ऐसे हैं जिनको किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद करना जरुरी है।

अगर आप भी किसी की 13वी पर खाते हैं मृत्युभोज, तो जान लें यह भयंकर बातें

हिन्दु धर्म में किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उस व्यक्ति की आत्मा की मुक्ति के लिए कई संस्कार किये जाते हैं। जिनमें मृत्यु के बाद उस व्यक्ति के परिवार वाले इन संस्कारों को किया जाता है। ऐसे में मृत्यु के बाद तेरहवे दिन उस व्यक्ति की तेरवी का भोजन कराया जाता है। इसे मृत्यु भोज या तेरवी का भोज कहा जाता है।  इसमें समाज के लोगों को आमंत्रित कर उनको भोजन करया जाता हैं। तेरवी के भोज के लिए कई लोग इसे सही मानते है तो कई लोग इस भोज को गलत मानते हैं।

अगर आप भी किसी की 13वी पर खाते हैं मृत्युभोज, तो जान लें यह भयंकर बातें

 

तेरवी के भोज के संबंध में भगवान श्रीकृष्ण ने इसके बारे में कुछ बाते बताई है। यह बात उस समय की है जब महाभारत का युद्ध शुरु होने वाला था उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने दुर्योधन के पास जाकर युद्ध को रोकने और संधि प्रस्ताव को स्वीकार करने के आग्रह से गये थे। लेकिन दुर्योधन ने प्रस्ताव ठुकरा दिया उसके बाद  भगवान श्रीकृष्ण ने उसे कई प्रकार से समझाया लेकिन वह नहीं माना इससे दुखी हो कर वह उसके घर से बाहर की ओर आने लगे।

अगर आप भी किसी की 13वी पर खाते हैं मृत्युभोज, तो जान लें यह भयंकर बातें

उस समय दुर्योधन ने श्रीकृष्ण से भोजन करने के लिए आग्रह किया उस पर श्री कृष्ण ने भोजन करने से मना कर दिया और कहा कि “जब भोजन करवाने और भोजन करने वाले दोनों का मन प्रसन्न हो तब ही भोजन करना चाहिए, लेकिन यदि दोनों के मन में पीड़ा हो वेदना हो तो कदापि भोजन नहीं करना चाहिए।”

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