जयपुर। सुप्रीम कोर्ट में अब अयोध्या का फाइनल डिसीजन चल रहा है। इसी साल 8 फरवरी से इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने शुरु कर दी थी। आज सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की तीसरी सुनवाई हुई।
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले के तीन पक्षकार हैं। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, राम लला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा। इन तीनों के इस मामले में अलग-अलग दलीलें हैं। पिछली सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकार ने अपनी दलील को मज़बूत करने की कोशिश की थी जो कि आज भी जारी रही।
पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था कि इस्लाम में मस्जिद का होना अनिवार्य नहीं है और मुस्लिम कहीं खुले में भी नमाज़ पढ़ सकते हैं। इसपर मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने कहा था कि भारत में हिंदुओ के लिए कई धार्मिक इमारतें हैं, जबकि मुस्लिमों के लिए नहीं है। धवन ने तब कहा था कि कानून को ताक पर रख कर आप मस्जिद को नहीं तोड़ सकते हैं।
आज की सुनवाई में मुस्लिम पक्षकारों ने एक नई याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर कर दी है। इस याचिका के अनुसार मुस्लिम पक्षकारों ने कहा है कि अयोध्या का मामला मुस्लिमों के लिए बहुविवाह से भी ज़्यादा बड़ा है, इसलिए इसे सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच के पास भेज देना चाहिये। कोर्ट ने कहा है कि वो इस बारे में आगे फैसला करेगा।