डिप्रेशन के शिकार हैं ज्यादातर पायलट, नौकरी के डर से रहते हैं ख़ामोश
जयपुर। बचपन में जब भी किसी से पूछा जाता है कि बेटा आप बड़े होकर क्या बनना चाहते है तो 80 प्रतिशत बच्चों का सपना एक पायलट बनना होता है। आखिर आसमान में हवा से बातें करते हुए प्लेन उड़ाने का अपना ही रोमांच है। मगर इन दिनों कमर्शियल फ्लाइट्स के सैकड़ों पायलट एक गंभीर दौर से गुज़र रहे हैं। दरअसल बताया जा रहा है कि 70 प्रतिशत पायलट इन दिनों क्लिनिकली डिप्रेस्ड हैं। यानी के वे मानसिक अवसाद जैसी गंभीर स्थिति से गुज़र रहे हैं।
इस लेख को भी देख लीजिए:- तो इस दिन मनाया जाता है विश्व यूएफओ डे, जानिए इस…
सबसे गंभीर बात तो यह है कि उन्हें पता होते हुए भी वे अपना इलाज नहीं करवा रहे हैं। यह चौंकाने वाला दावा हार्वर्ड टीएच चेन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं ने किया हैं। द जर्नल एनवायरनमेंटल में प्रकाशित हुई है। ताजातरीन अध्ययन के नतीजे बताते है कि 4.1 प्रतिशत पायलटों के दिमाग में हफ्ते में कम से कम एक बार आत्महत्या का विचार जरूर आता है।
इस चौंकाने वाले अध्ययन ने दुनिया भर की एयरलाइंस की नींदें उड़ा दी हैं। इसी डिप्रेशन की वजह से पिछले साल एक पायलट ने जर्मनविंग्स एयरलाइन की उड़ान को जानबूझ कर फ्रेंच आल्प्स की चोटियों में दुर्घटनाग्रस्त करा दिया था। आपको बता दे कि इस हादसे मे 150 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद से ही पायलट्स की दिमागी हालत का सर्वे करने का निर्णय किया गया। 3 शोधकर्ताओं की एक टीम ने ऑनलाइन सर्वे के माध्यम से यह जानकारी प्राप्त की है। इस सर्वे में करीबन 3500 पायलट्स से कई तरह के सवालात किए गए।
इस लेख को भी देख लीजिए:- इस स्मार्ट शर्ट पर जरा भी नहीं टिकते हैं दाग, धोने…
पायलट्स को जवाब देने में हिचकिचाहट नही हो इसकी खातिर उनकी पहचान गुप्त रखी गई है। खास बात यह थी कि इस सर्वे में मेंटल हेल्थ से जुड़े सवालों के जवाब केवल 1848 पायलट्स ही दे पाए। बाकी के पायलट्स ने इन सवालों से बचने के लिए कई तरह के अलग अलग बहाने बनाए। इसी सर्वे में पता चला कि ज्यादातर पायलट्स तो भारी डिप्रेशन के शिकार हैं।