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मोदी सरकार ने कहा जब मजदूरों की मौत का आंकड़ा नहीं तो कैसा मुआवजा, राहुल गांधी ने किया पलटवार

विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने उस समय मोदी सरकार पर तीखा वार किया जब श्रम मंत्रालय ने कहां कि उनके पास लॉकडाउन में हुए प्रवासी मजदूरों की मौत का कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है। भारत में सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर बिहार से दूसरे राज्यों में काम करने के लिए जाते हैं और इन दिनों
मोदी सरकार ने कहा जब मजदूरों की मौत का आंकड़ा नहीं तो कैसा मुआवजा, राहुल गांधी ने किया पलटवार

विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने उस समय मोदी सरकार पर तीखा वार किया जब श्रम मंत्रालय ने कहां कि उनके पास लॉकडाउन में हुए प्रवासी मजदूरों की मौत का कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है।

भारत में सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर बिहार से दूसरे राज्यों में काम करने के लिए जाते हैं और इन दिनों बिहार में विधानसभा चुनाव भी नजदीक आ चुका है। इसी बीच मोदी सरकार के श्रम मंत्रालय से 12 सितंबर को आए लिखित बयान में कहां गया है की जब सरकार के पास लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की हुई मौत तो का कोई आंकड़ा ही मौजूद नहीं है तो मुआवजे का सवाल ही नहीं पैदा होता है।

मंगलवार को राहुल गांधी ने श्रम मंत्रालय से आए इस बयान पर तीखा वार करते हुए ट्वीट किया है कि “मोदी सरकार नहीं जानती कि लॉकडाउन में कितने प्रवासी मज़दूर मरे और कितनी नौकरियाँ गयीं।

तुमने ना गिना तो क्या मौत ना हुई? हाँ मगर दुख है सरकार पे असर ना हुई, उनका मरना देखा ज़माने ने, एक मोदी सरकार है जिसे ख़बर ना हुई।”

बता दें कि सोमवार को संसद में सरकार से यह पूछा गया था कि क्या उनके पास कोई डिटेल है जिससे पता चले की कितने श्रमिक अपने गृह राज्य लौटे हैं और लॉकडाउन के दौरान कितने श्रमिक ने अपनी जान गवाई है क्या सरकार के पास उनके परिवार वालों के लिए कोई आर्थिक मदद की योजना है? इसपर केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने अपने लिखित जवाब में बताया कि ‘ऐसा कोई आंकड़ा मेंटेन नहीं किया गया है. ऐसे में इसपर कोई आर्थिक मदद का सवाल नहीं उठता है.’हालांकि सरकार ने माना कि तकरीबन एक करोड़ श्रमिक लॉकडाउन के दौरान अपने गृह राज्य लौटे हैं।

आपको बता दे की लॉकडाउन के दौरान भारी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने घर लौटे हैं और इस दौरान बहुत से प्रवासी मजदूरों ने अपनी जान गवाही है।

 

 

 

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