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वर्षा ऋतु के आगमन का पर्व है मिथुन संक्रांति

मिथुन संक्रांति के दिन वस्त्रों का दान किया जाता है साथ ही इस दिन सिलबट्टे का प्रयोग नहीं किया जाता, इस दिन भूदेवी का प्रतिक माने जाने वाले सिलबट्टे की पूजा की जाती है। सिलबट्टे को दूध और जल से स्नाकन कराया जाता है। साथ ही इस दिन घर के पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी जाती है। इसके साथ ही इस दिन बर्षा ऋतु के आगमन का भी उत्साह मनाया जाता है। इस पर्व के जरिए पहली बारिश का स्वागत किया जाता है।
वर्षा ऋतु के आगमन का पर्व है मिथुन संक्रांति

जयपुर। 15 जून को सूर्य वृष राशि से मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे, जिस कारण से इस दिन मिथुन संक्राति का पर्व मनाया जाएगा। सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है। सूर्य जिस राशि में प्रवेश करते हैं, उसी राशि की संक्राति कह लाई जाती है। सूर्य अपनी गति के साथ साथ एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं, सूर्य के राशि परिवर्तन के कारण सूर्यदेव एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता हैं।

वर्षा ऋतु के आगमन का पर्व है मिथुन संक्रांति

सूर्य के मिथुन राशि में प्रवेश करने से इस दिन मिथुन संक्राति का पर्व मनाया जाएगा, इस दिन का पर्व वर्षा ऋतु के आगमन के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसके साथ ही संक्रांति के पर्व को दान पुण्य का पर्व मनाया जाता है।

वर्षा ऋतु के आगमन का पर्व है मिथुन संक्रांति

मिथुन संक्रांति के दिन सूर्यदेव की पूजा की जाती है, इस दिन सूर्य देव की आराधना का विशेष महत्व माना जाता है। मिथुन संक्रांति के दिन भगवान विष्णु और धरती मां की भी पूजा करने का दिन है, इस दिन धरती के प्रति आभार व्यक्ति किया जाता है। साथ ही इस दिन कोई भी खुदाई का व जुताई का काम नहीं किया जाता है।

वर्षा ऋतु के आगमन का पर्व है मिथुन संक्रांति

मिथुन संक्रांति के दिन वस्त्रों का दान किया जाता है साथ ही इस दिन सिलबट्टे का प्रयोग नहीं किया जाता, इस दिन भूदेवी का प्रतिक माने जाने वाले सिलबट्टे की पूजा की जाती है। सिलबट्टे को दूध और जल से स्‍नान कराया जाता है। साथ ही इस दिन घर के पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी जाती है। इसके साथ ही इस दिन बर्षा ऋतु के आगमन का भी उत्साह मनाया जाता है।

वर्षा ऋतु के आगमन का पर्व है मिथुन संक्रांति

मिथुन संक्रांति के दिन वस्त्रों का दान किया जाता है साथ ही इस दिन सिलबट्टे का प्रयोग नहीं किया जाता, इस दिन भूदेवी का प्रतिक माने जाने वाले सिलबट्टे की पूजा की जाती है। सिलबट्टे को दूध और जल से स्नाकन कराया जाता है। साथ ही इस दिन घर के पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी जाती है। इसके साथ ही इस दिन बर्षा ऋतु के आगमन का भी उत्साह मनाया जाता है। इस पर्व के जरिए पहली बारिश का स्वागत किया जाता है। वर्षा ऋतु के आगमन का पर्व है मिथुन संक्रांति

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