Samachar Nama
×

मैला ढोने वाले नहीं समझ पा रहे हैं स्वच्छ भारत अभियान को

जयपुर। भारत कई तरक्करी कर रहा है ज्ञान विज्ञान सब में भारत का नाम का आगे आ रहा है। प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत अभियान चलाकर लोगों को हाइजिन से उभर रहा है। अपने आपको उभार ने के लिए उसने कई रीति रिवाजों को तोड़ा है और उन्हें तोड़ना भी जरुरी था। लेकिन कुछ प्रथायें अभी
मैला ढोने वाले नहीं समझ पा रहे हैं स्वच्छ भारत अभियान को

जयपुर। भारत कई तरक्करी कर रहा है ज्ञान विज्ञान सब में भारत का नाम का आगे आ रहा है। प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत अभियान चलाकर लोगों को हाइजिन से उभर रहा है। अपने आपको उभार ने के लिए उसने कई रीति रिवाजों को तोड़ा है और उन्हें तोड़ना भी जरुरी था।मैला ढोने वाले नहीं समझ पा रहे हैं स्वच्छ भारत अभियान को

लेकिन कुछ प्रथायें अभी भी चल रही है जिससे भारत का विकास रुका हुआ है। इन्हीं प्रथाओं  में एक प्रथा थी “मैला ढोना”  इस प्रथा को मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी रिपोर्ट में भारत सरकार से सिर पर मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करने को कहा है।मैला ढोने वाले नहीं समझ पा रहे हैं स्वच्छ भारत अभियान को

उत्तर प्रदेश के कसेला गांव की महिलाएं शौचालयों से मैला उठाती हैं जबकि उनके पुरुष सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफ़ाई करते हैं। कसेला गांव में मैला ढोने की प्रथा सदियों से चली आ रही है और इस काम में लगे लोगों को अब भी अछूत माना जाता है।मैला ढोने वाले नहीं समझ पा रहे हैं स्वच्छ भारत अभियान को

गैर सरकारी संगठन जन साहस द्वारा चलाए जा रहे राष्ट्रीय गरिमा अभियान के तहत मध्य प्रदेश में मैला ढोने वाले 1,100 लोगों को इससे मुक्त कराया गया है। यह भारत के हर राज्य में फैला एक कीड़ा है। इधर मोदी द्वारा चलाया गया स्वच्छ भारत अभियान और मैला ढोने कि यह प्रथा दोनों आपस में टक्कराती है।मैला ढोने वाले नहीं समझ पा रहे हैं स्वच्छ भारत अभियान को

स्वच्छ भारत अभियान के कारण निचले तबके को रोजगार मिला है। लेकिन यह तबका अभी मैला ढोने स्वच्छ भारत अभियान में फर्क नहीं समझ पा रहा है।

 

Share this story