Mesh sankranti 2021: पर्व त्योहारों का आधार है मेष संक्रांति का पावन दिन
हिंदू धर्म में संक्रांतियों को विशेष माना जाता हैं वही मेष संक्रांति को त्योहारों का आधार बताया गया हैं इस दिन भगवान सूर्यदेव विशिष्ट तरह का संक्रमण करते हैं मेष संक्रांति मेष राशि में भगवान सूर्यदेव के संक्रमण के दिन को संदर्भित करती हैं। मेष संक्रांति के पहले दिन से सौर कैलेंडर के नववर्ष का आरंभ होता हैं मेष संक्रांति के पहले दिन को नववर्ष के पहले दिन के रूप में मनाया जाता हैं वही आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा मेष संक्रांति के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।
आपको बता दें कि सूर्यदेव की स्तुति से यश, कीर्ति और वैभव की प्राप्ति होती हैं मेष संक्रांति में सूर्य देव की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता हैं इस दिन स्नान के बाद सूर्यदेव का जल दें और गायत्री मंत्र का जाप करें दान करें, इस दिन गेहूं, गुड़ और चांदी की वस्तु दान करना शुभ माना जाता हैं मेष संक्रांति को स्नान आदि से निवृत्त होकर लाल वस्त्र धारण करेंं तांबे के पात्र या लोटे में जल, अक्षत, लाल पुष्प रखकर सूर्यदेव भगवान को जल अर्पित करें। उत्तर भारत के लोग इसे नए साल के रूप में मनाते हैं और इसे सतुआ संक्रांति भी कहते हैं हिंदू धर्म में मेष संक्रांति का बहुत अधिक महत्व होता हैं। इस दिन से गर्मी के मौसम की शुरुआत मानी जाती हैं इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा अर्चना भी की जाती हैं और उन्हें सत्तू का भोग लगाया जाता हैं इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद भगवान सूर्यदेव को जल देना चाहिए। मेष संक्रांति पर पवित्र नदी में स्नान करने और दान पुण्य करने का विशेष महत्व होता हैं इस दिन पुण्य करने से सूर्य नारायण प्रसन्न हो जाते हैं। मत्स्यपुराण में भी संक्रांति के व्रत का वर्णन किया गया हैं संक्रांति के दिन गंगा या पवित्र नदी में स्नान पुण्यदायक माना जाता हैं।