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मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन से हुई थी सतयुग काल की शुरुआत

पौराणिक कथाओं के मुताबिक मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सच्चे मन से पूजा पाठ करने से इसी जन्म में व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती हैं। पौराणिक धर्म ग्रंथों के मुताबिक इस दिन सतयुग की शुरुआत हुई थी। पंचांग के मुताबिक मास की 15वीं और शुक्लपक्ष की अंतिम तिथि जिस दिन चंद्रमा आकाश में पूरा होता हैं उस दिन को पूर्णिमा या पूर्णमासी कहा जाता हैं।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन से हुई थी सतयुग काल की शुरुआत

जीवन संघर्षों से भरा हुआ होता हैं। ऐसे में हर व्यक्ति ईश्वर की भक्ति करके मोक्ष की प्राप्ति करना चाहते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक माना जाता हैं कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सच्चे मन से आराधना व पूजा पाठ करने से इसी जन्म में व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती हैं।मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन से हुई थी सतयुग काल की शुरुआत पौराणिक धर्म ग्रंथों के मुताबिक इस दिन सतयुग की शुरुआत हुई थी। वही पंचांग के मुताबिक मास की 15वीं और शुक्लपक्ष की अंतिम तिथि जिस दिन चंद्रमा आकाश में पूरा होता हैं उस दिन को पूर्णिमा या पूर्णमासी कहा जाता हैं। यह हर माह की पूर्णिमा को कोई न कोई पर्व और व्रत उपवास किया जाता हैं। मगर मार्गशीर्ष की पूर्णिमा का खास महत्व होता हैं। इस बार यह पूर्णिमा 12 दिसंबर यानी की कल हैं।मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन से हुई थी सतयुग काल की शुरुआत

जानिए महत्व—
मान्यताओं के मुताबिक मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर तुलसी की जड़ की मिट्टी से पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करने से भगवान श्री हरि की विशेष कृपा प्राप्त होती हैं। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सूर्य और चंद्रमा ठीक आमने सामने होते हैं। इस दिन चंद्रमा का प्रभाव व्यक्ति पर सबसे अधिक होता हैं। वह मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन गीता का पाठ करने से भी लाभ मिलता हैं। ऐसा कहा जाता हैं कि इस दिन गीता पाठ करने से पितरों को तृप्ति मिलती हैं।मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन से हुई थी सतयुग काल की शुरुआत

वही समय के मुताबिक बुधवार 11 दिसंबर 2019 को रात्रि 11 बजकर एक मिनट 21 सेकेंड से पूर्णिमा आरंभ हो जाएगी और गुरुवार 12 दिसंबर 2019 को रात्रि 10 बजकर 44 मिनट 24 सेकेंड पर पूर्णिमा समाप्त हो जाएगी। मगर 12 दिसबंर को ही पूर्णिमा उपवास रखा जाएगा और पूजा पाठ दान आदि भी किया जाएगा।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सच्चे मन से पूजा पाठ करने से इसी जन्म में व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती हैं। पौराणिक धर्म ग्रंथों के मुताबिक इस दिन सतयुग की शुरुआत हुई थी। पंचांग के मुताबिक मास की 15वीं और शुक्लपक्ष की अंतिम तिथि जिस दिन चंद्रमा आकाश में पूरा होता हैं उस दिन को पूर्णिमा या पूर्णमासी कहा जाता हैं। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन से हुई थी सतयुग काल की शुरुआत

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