धन नाशक होता है ऐसा गोमेद
रत्नशास्त्र का व्यक्ति के जीवन में बहुत अधिक महत्व होता हैं, वही रत्नों के मध्यम से व्यक्ति अपने जीवन की परेशानियों को कम कर सकता हैं, वही गोमेद को राहु का रत्न माना गया हैं। यानी इसका स्वामी राहु ग्रह है, राहु एक छाया ग्रह माना जाता हैं। इसका अपना कोई अस्तित्व नहीं होता हैं। यह जिस भाव, राशि, नक्षत्र या ग्रह के साथ से जुड़ जाता है उसके मुताबिक ही अपना फल देने लगता हैं। वही राहु जब नीच का या अशुभ होकर प्रतिकूल फल प्रदान करता हैं तो ज्योतिष के जानकार लोग गोमेद पहनने का सुझाव देते हैं। वही आज हम आपको गोमेद से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं। बता दें कि गोमेद राहु का रत्न होता हैं, इसे पहनने से लाभ और हानि दोनों हो सकती हैं इसलिए गोमेद पहनने से पहले उसके बारे में अच्छे से जान लेना बहुत ही जरूरी होता हैं वही विभिन्न भाषाओं में इसका भिन्न भिन्न नाम होता हैं। संस्कृत में इसको गोमेदक, पिग स्फटिक, राहु रत्न, हिंदी में गोमेद, फारसी में जरकूनिया और अंग्रेजी में जिरकॉन कहा जाता हैं। इसका रंग पीला या गौमूत्र के समान होता हैं।
वही शुद्ध और श्रेष्ठ गोमेद चमकदार, सुंदर, चिकना, अच्छे घाट का तथ उज्जवल होता हैं। देखने में यह उल्लू की आंख की तरह लगता हैं। अगर शुद्ध गोमेद को लकड़ी के बुरादे में घिसा जाए तो उसकी चमक बढ़ जाती हैं। वही नकली गोमेद की चमक नष्ट हो जाती हैं। इतना ही नहीं दोषयुक्त गोमेद निष्प्रभावी नहीं होता, बल्कि धारक के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता हैं। गोमेद धारण से गर्मी, ज्वर, प्लीहा, तिल्ली आदि के रोग दूर होते हैं। मिर्गी, वायु प्रकोप और बवासीर आदि रोगों में इसका भस्म दूध के साथ लेने पर शीघ्र लाभ की प्राप्ति होती हैं।