भगवान कृष्ण के उपदेश में छिपे हैं मैनेजमेंट के सूत्र
आपको बता दें कि गीता जयंती का पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती हैं। इस दिन कुरुक्षेत्र के मैदान में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता के उपदेश दिया था। इस बार यह पर्व आठ दिसंबर दिन रविवार को मनाया जाएगा। महाभारत के युद्ध में भगवान ने जो उपदेश दिए थे, इनमें मैनेजमेंट के सूत्र छिपे हुए हैं। जिनको समझकर कोई भी मनुष्य अपने जीवन में छोटे छोटे बदलावों से उन्नति कर सकता हैं। वही इन उपदेशों में मैनेजमेंट के सूत्र छिपे हुए हैं। जिनको समझकर कोई भी मनुष्य अपने जीवन में छोटे छोटे बदलावों से उन्नति कर सकता हैं।
पढ़ें गीता के उपदेश—
श्रेष्ठ का अनुसरण
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन:।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते।।
जानिए अर्थ— श्रेष्ठ पुरुष जैसा आचरण करते हैं, सामान्य पुरुष उसी को आदर्श मानकर लोग उसका अनुसरण करते हैं।
मैनेजमेंट सूत्र— श्रेष्ठ पुरुष को सदैव पद व गरिमा के मुताबिक ही व्यवहार करना चाहिए। वह जैसा करेंगे, सामान्य मनुश्य उसकी नकल करेंगे।
ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्।
मम व्रत्मानुवर्तन्ते मनुष्या पार्थ सर्वश:।।
जानिए अर्थ— हे अर्जुन, जो मनुष्य मुझे जिस प्रकार भजता है यानी जिस इच्छा से मेरा स्मरण करता हैं, उसी के अनुरुप मैं उसे फल प्रदान करता हूं।
मैनेजमेंट सूत्र— संसार में जो मनुष्य जैसा व्यवहार दूसरों के प्रति करता हैं, दूसरे भी उसी प्रकार का व्यवहार उसके साथ करता हैं। जो लोग भगवान का स्मरण मोक्ष के लिए करते हैं, उन्हें मोक्ष मिलता हैं जो किसी अन्य इच्छा से प्रभु का स्मरण करते हैं उनकी वह इच्छाएं भी ईश्वर कृपा से पूर्ण हो जाती हैं।
योगस्थ: कुरु कर्माणि संग त्यक्तवा धनंजय।
सिद्धय-सिद्धयो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।
जानिए अर्थ— हे अर्जुन कर्म न करने का आग्रह त्यागकर, यश अपयश के विषय में समबुद्धि होकर योगयुक्त होकर, कर्म कर, समत्व को ही योग कहते हैं।