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चिंपैंजी से नहीं बल्कि इससे फैला था मलेरिया का परजीवी

जयपुर। मनुष्य में कई तरह की बीमारीयां होती है। और यह इंसानों द्वारा नहीं होती है बल्कि और कई जीवों के द्वारा होती है। इसी तरह से मलेरिया का कारण भी चिंपैंज़ी में पाए जाने वाला परजीवी प्लाजमोडियम था। जो कि बाद में इंसानों में फैल गया था और अभी भी इसका घातक असर है
चिंपैंजी से नहीं बल्कि इससे फैला था मलेरिया का परजीवी

जयपुर। मनुष्य में कई तरह की बीमारीयां होती है। और यह इंसानों द्वारा नहीं होती है बल्कि और कई जीवों के द्वारा होती है। इसी तरह से मलेरिया का कारण भी चिंपैंज़ी में पाए जाने वाला परजीवी प्लाजमोडियम था। जो कि बाद में इंसानों में फैल गया था और अभी भी इसका घातक असर है इंसानों पर। वैज्ञानिकों ने शोध में पाया कि मलेरिया परजीवी चिंपैंजी के द्वारा इंसानों में तब फैला था, जब मानव के विकास की प्रक्रिया में दोनों के पूर्वज एक ही थे।चिंपैंजी से नहीं बल्कि इससे फैला था मलेरिया का परजीवी

लेकिन अमेरिका, यूरोप और अफ़्रीकी देशों के वैज्ञानिकों ने इस बात को गलत साबित किया है। इन वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि मलेरिया का परजीवी का इंसानों में चिंपैंज़ी के बजाय गोरिल्ला से आया था। इन शोधकर्ताओं ने इस बात को साबित करने के लिए गोरिल्ला के मल में मलेरिया के परजीवी मिलने की पुष्टि की हैं। वैज्ञानिकों के आंकड़े की माने तो पश्चिमी गोरिल्ला में पाए गए परजीवी मलेरिया के परजीवी से सबसे ज़्यादा मेल खाते हैं। मलेरिया का कारण प्लासमोडियम नामक परजीवी होता है,चिंपैंजी से नहीं बल्कि इससे फैला था मलेरिया का परजीवी

जो मादा एनोफिलीज मच्छरों के द्वारा इंसानों के शरीर में प्रवेश करता हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि अफ़्रीका में ही दिमागी मलेरिया से आठ लाख लोग प्रतिवर्ष मर जाते हैं। जानकारी के लिए बता दे कि अमरीका के अलाबामा विश्वविद्यालय में यह शोध किया गया है। इसमें शोधकर्ताओँ ने इंसानों और बंदरों की जाति के जानवरों के बीच एचआईवी और उससे संबंधित संक्रामक रोगों पर शोध कर रहा हैं। शोधकर्ता भी नये नतीजे पाकर हैरान हैं कि मलेरिया के परजीवी गोरिल्ला से ही आए थे।चिंपैंजी से नहीं बल्कि इससे फैला था मलेरिया का परजीवी

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