जब भगवान श्रीराम की पतंग पहुंची थी इंद्रलोक
15 जनवरी यानी आज मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा हैं यह पर्व उमंग, उत्साह और मस्ती का प्रतीक पतंग उड़ाने की लंबे समय से चली आ रही परंपरा मौजूदा दौर में बदलाव के बाद भी बरकरार हैं। आज जीवन की भाग दौड़ में भले ही लोगों को पतंगबाजी का शौक कम हो गया हैं मगर मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा आज भी बनी हुई हैं। इसी पंरपरा के कारण से मकर संक्रांति के दिन को पतंग पर्व भी कहा जाता हैं। मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का वर्णन रामचरित मानस के बालकांड में मिलता हैं। तुलसीदास ने इसका वर्णन करते हुए लिखा हैं कि राम इन दिन चंग उड़ाई, इंद्रलोक में पहुंची जाई। मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति पर जब भगवान श्री राम ने पतंग उड़ाई थी, जो इंद्रलोक में जा पहुंची थी। उस समय से लेकर आज तक पतंग उड़ाने की परंपरा बनी ही हैं।
वर्षों पुरानी इस परंपरा को वर्तमान समय में भी बरकरार रखा गया हैं आकाश में रंग बिरंगी अठखेलियां करती हुई पतंग को देख कर हर किसी का मन पतंग उड़ाने के लिए लालायित हो उठता हैं हर वर्ष मकर संक्रांति के दिन लोग चूड़ा दही खाने के बाद मकानों की छतों और खुले मैदानों में पतंग उड़ाकर दिन का मजा लेते हैं।
मकर संक्रांति के दिन पतंगबाजी करते हुए लोगों का उत्साह देखकर ऐसा लगता हैं कि आज मकर राशि में प्रवेश कर चुके सूर्य को पतंग की डोर के सहारे उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर खींचने का प्रयास कर रहे हो। उत्तर के के लोग भी ऊर्जा के स्त्रोत सूर्य की कृपा से धन धान्य से परिपूर्ण हो सकें। मकर संक्रांति के दिन दान पुण्य का विशेष महत्व भी होता हैं।