पढ़ें मकर संक्रांति का इतिहास और महत्व
आपको बता दें कि लोहड़ी और मकर संक्रांति का त्योहार अक्सर लगातार 13 व 14 जनवरी को पड़ते हैं मगर इस बार लोहड़ी 13 जनवरी को पड़ी हैं जबकि मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जा रहा हैं क्योंकि ज्योतिष गणना के अनुसार इस बार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की रात 2:07 बजे हैं इसलिए संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जा रही हैं। मकर संक्रांति के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद अग्निदेव व सूर्यदेव की पूजा करते हैं मंदिरों व गरीबों को इस दिन दान भी दिया जाता हैं इसके बाद तिल के लड्डू, खिचड़ी और पकवानों की मिठास के साथ मकर संक्रांति का पर्व मनाते हैं वही आज के दिन पतंगबाजी भी होती हैं।
वही मकर संक्रांति को उत्तर भारत के कुछ इलाकों में खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता हैं दक्षिण भारत के तमिलनाडु व केरल में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता हैं पोंगल 2020 का पर्व 15 जनवरी को शुरू होगा और 18 जनवरी तक मनाया जाएगा। पोंगल का पर्व नई फसल आने की खुशी में मनाया जाता हैं।
जानिए मकर संक्रांति का इतिहास—
पौराणिक कथाओं के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन गंगा जी भगीरथ के पीछे पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हैं सागर में जा मिली थी। इसलिए आज के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता हैं मकर संक्रांति को मौसम में बदलाव का सूचक भी माना जाता हैं। इसी दिन से वातावरण में कुछ गर्मी आने लगती हैं और बसंत ऋतु के बाद ग्रीष्म ऋतु का आगमन हो जाता हैं।