शनि प्रकोप से मुक्ति का दिन है मकर संक्रांति
मकर संक्रांति का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता हैं वही ऐसा कहा जाता हैं यह पर्व पुण्य प्राप्ति और मोक्ष प्राप्ति का पर्व होता हैं हिंदू पर्व निर्णय के मुताबिक सूर्य मकर राशि में जिस दिन प्रवेश करता हैं उसी दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता हैं। मकर संक्रांति होने के बाद दो घटी का समय महापुण्य काल कहलाता हैं। इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को पड़ रही हैं। मकर संक्रांति पुण्य काल रात्रि में ही होना चाहिए मगर संक्रांति का दान पुण्य सूर्य को साक्षी मानकर करने में अधिक पुण्यकारी माना जाता हैं 15 जनवरी 2020 को प्रात काल से सूर्यास्त तक ही पुण्य काल मान्य होगा।
मकर संक्रांति प्रवेश काल: रात्रि 02: 06 बजे
विशेष पुण्य काल: प्रात काल से सूर्योस्त तक।
इस दिन सूर्य देव शनि की राशि और गृह में प्रवेश करेंगं। आज से धनु मास का समापन हो जाएगा। इस साल 2020 की मकर संक्रांति का विशेष महत्व होता हैं क्योंकि इस संवत्सर 2076 के राजा शनि और मंत्री सूर्य हैं। मकर संक्रांति अयन संक्रांन्ति होने के कारण बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मकर संक्रांति के स्वामी सूर्य पुत्र शनि देव हैं शनि के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए मकर संक्रांति के दिन की गई सूर्योपासना महा शुभ मानी जाती हैं। वही मत्स्य पुराण के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन सूर्योपासना के साथ यज्ञ, हवन और दान पुण्य का विशेष फल मनुष्य को प्राप्त होता हैं। शिव रहस्य ग्रंथ के मुताबिक मकर संक्रांति के अवसर पर हवन पूजन के साथ खाद्य वस्तुओं में तिल और तिल से बनी वस्तुओं का विशेष महत्व होता हैं।