मकर संक्रांति पर तिल का दान क्यों है महत्वपूर्ण, जानिए
माघ महीने के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता हैं मकर संक्रांति पर सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता हैं इस दिन दान, स्नान और पूजा पाठ का विशेष महत्व होता हैं मकर संक्रांति पर विशेष रूप से तिल का दान किया जाता हैं साथ ही इसके अलावा पानी में तिल डालकर स्नान करने की भी परंपरा होती हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक तिल का दान करने से शनिदेव प्रसन्न हो जाते हैं बता दें कि शनिदेव को को तिल अति प्रिय होता हैं माना जाता हैं कि तिल की उत्पत्ति भगवान श्री विष्णु के शरीर से हुई।
पुराणों के अनुसार इस दिन सूर्य और शनिदेव की पूजा तिल से करने पर शनि के अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं सूर्य देव प्रसन्न होकर अन्न धन में वृद्धि करते हैं कथा के मुताबिक सूर्य पुत्र शनि और उनकी दूसरी पत्नी छाया के शाप के कारण सूर्य भगवान को कुष्ट रोग हो गया। मगर सूर्य के दूसरे पुत्र यमराज के प्रयत्न से उनका कुष्ट रोग समाप्त हो गया। इससे सूर्य देव क्रोधित होकर शनि के घर कुंभ में बैठकर उनके घर को जलाकर राख कर दिया। जिससे शनि और उनकी माता को कष्टों का सामना करना पड़ रहा था। यमदेव ने अपनी सौतेली माता और भाई शनि के कल्याण के लिए पिता सूर्य को समझाया तब जाकर सूर्यदेव शनि के घर कुंभ में पहुंचे। सब कुछ जला हुआ था। शनि देव के पास तिल के अलावा कुछ भी नहीं था। इसलिए उन्होंने काले तिल से सूर्य देव की पूजा की। इससे प्रसन्न होकर सूर्य देव ने आशीर्वाद दिया। वही शनि का दूसरा घर मकर राशि मेरे आने पर धन धान्य से भर जाएगा। तिल के कारण ही शनि को उनका वैभव प्राप्त हुआ था। इसलिए इस दिन तिल का विशेष महत्व होता हैं।