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बुद्ध के अनुसार दूसरों की भलाई ही है उत्तम यज्ञ

महात्मा बुद्ध के विचार व्यक्ति को एक महान मनुष्य बना सकते हैं, बुद्ध जी के विचारों को अपनाकर हर व्यक्ति अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकता हैं, वही बुद्ध उस समय श्रावस्ती में थे। कौशल नरेश प्रसेनजित का यज्ञ प्रारंभ हुआ, उसमें सैकड़ों पशुओं को बलि देने के लिए तैयार किया जा रहा था। भिक्षुओं ने भगवान बुद्ध को इस यज्ञ के बारे में बताया।
 बुद्ध के अनुसार दूसरों की भलाई ही है उत्तम यज्ञ

महात्मा बुद्ध के विचार व्यक्ति को एक महान मनुष्य बना सकते हैं, बुद्ध जी के विचारों को अपनाकर हर व्यक्ति अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकता हैं, वही ​बुद्ध उस समय श्रावस्ती में थे। कौशल नरेश प्रसेनजित का यज्ञ प्रारंभ हुआ, उसमें सैकड़ों पशुओं को बलि देने के लिए तैयार किया जा रहा था। भिक्षुओं ने भगवान बुद्ध को इस यज्ञ के बारे में बताया। बुद्ध ने कहा कि जिस यज्ञ में निरीह प्राणी मारे जाते हैं उसमें सदाचरी महर्षि नहीं जाते। बुद्ध के अनुसार दूसरों की भलाई ही है उत्तम यज्ञ जहां प्राणियों की हिंसा नहीं होती और जो लोगों को प्रिय लगते हैं, उनमें महर्षिगण उपस्थित रहते हैं विद्वानों को चाहिए कि वे ऐसा यज्ञ करें, जिसमें हिंसा न हो। दीर्घ निकाय के कूटदत्त सुत्त में बताया गया हैं कि राजाओं और धनी ब्राह्माणों को यज्ञ कैसे करना चाहिए। बुद्ध के अनुसार दूसरों की भलाई ही है उत्तम यज्ञ

वही बुद्ध उस मसय मगण देश में प्रव्रज्या पर थे। वहां एक ऐसा यज्ञ हो रहा था, जिसमें प्रतिदिन हजारों स्वर्णमुद्रांए खर्च हो रही थी। कूटदंत नामक आचार्य ने बुद्ध से यज्ञ के बारे में पूछा कि आप ऐसी विधि बताइए जो उत्तम हो। यज्ञ उसी आचार्य की देखरेखा में हो रहा था। उसका विचार था कि बुद्ध ऐसी कोई विधि बताएंगे जो श्रेष्ठ हो। बुद्ध के अनुसार दूसरों की भलाई ही है उत्तम यज्ञ बुद्ध ने उसे महाविजित राजा के यज्ञ की कथा सुनाई। उस राजा को उसके पुरोहित ने सलाह दी ​कि राज्य में शांति नहीं हैं, गांव और शहर लूटे जा रहे हैं बीमारियां फैल रही हैं। ऐसी स्थिति में सुख शांति के उपाय करना ज्यादा अच्छा माना जाएंगा। लोग जो काम करना चाहते हैं उन्हें राज्य की ओर से सहायता मिले और व्यापार व्यवसाय में वृद्धि हो। राजा ने पुरोहित का परामर्श मान कर लोक कल्याण की गति​विधियां शुरू की। बुद्ध के अनुसार दूसरों की भलाई ही है उत्तम यज्ञ

वही राज्य में ऐसी व्यवस्था बनाई, जिसमें अन्न, जल और आवश्यक सुविधाएं आसानी से मिलने लगी। बुद्ध ने इस प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि लोगो का जिसमें भला हो वह सत्कर्म ही उत्तम यज्ञ हैं।

महात्मा बुद्ध के विचार व्यक्ति को एक महान मनुष्य बना सकते हैं, बुद्ध जी के विचारों को अपनाकर हर व्यक्ति अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकता हैं, वही ​बुद्ध उस समय श्रावस्ती में थे। कौशल नरेश प्रसेनजित का यज्ञ प्रारंभ हुआ, उसमें सैकड़ों पशुओं को बलि देने के लिए तैयार किया जा रहा था। भिक्षुओं ने भगवान बुद्ध को इस यज्ञ के बारे में बताया। बुद्ध के अनुसार दूसरों की भलाई ही है उत्तम यज्ञ

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