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इस एक कर्म के कारण भीष्म को मिला पृथ्वीलोक में जन्म

महाभारत में भीष्म ऐसे योद्धा थे, जिनके पराक्रमी और निष्ठावान होने के बाद भी श्रीकृष्ण उनकी व्यक्तिगत प्रतिज्ञाओं की वजह से नाराज थे भगवान कृष्ण का कहना था कि अगर वो गलत होता देखकर अपना मौन तोड़ देते, तो महाभारत का रक्तरंजित युद्ध कभी नहीं होता हैं, पूर्वजन्म के एक कर्म की वजह से भीष्म को पृथ्वीलोक में जन्म लेना पड़ा।
इस एक कर्म के कारण भीष्म को मिला पृथ्वीलोक में जन्म

महाभारत में सभी पात्रों बहुत ही महत्वपूर्ण माने जाते हैं उन्हीं में से एक थे भीष्म, महाभारत में भीष्म ऐसे योद्धा थे, जिनके पराक्रमी और निष्ठावान होने के बाद भी भगवान श्रीकृष्ण उनकी व्यक्तिगत प्रतिज्ञाओं की वजह से नाराज थे भगवान कृष्ण का कहना था कि अगर वो गलत होता देखकर अपना मौन तोड़ देते, तो महाभारत का रक्तरंजित युद्ध कभी नहीं होता हैं तो आज हम आपको भीष्म से जुड़ी कुछ खास और दिलचस्प बातों के बारे में बताने जा रहे हैं, तो आइए जानते हैं।इस एक कर्म के कारण भीष्म को मिला पृथ्वीलोक में जन्म

महाभारत के आदि पूर्व के मुताबिक एक बार पृथु और वसु अपनी पत्नियों के साथ मेरु पर्वत पर भ्रमण कर रहे थे। वही वशिष्ट ऋषि का आश्रम भी था। एक वसु पत्नी की नजर ऋषि वशिष्ठ के आश्रम में बंधी नंदिनी नामक गाय पर पड़ गई। उसने उसे अपने पति द्यौ नामक वसु को दिखाया और वो गाय लाने को कहा।इस एक कर्म के कारण भीष्म को मिला पृथ्वीलोक में जन्म पत्नी की बात मानकर द्यौ ने अपने भाइयों के साथ उस गाय का हरण कर लिया। जब महर्षि वशिष्ठ अपने आश्रम आए तो उन्होंने दिव्य दृष्टि से सारी बात जान ली। वसुओं के इस कार्य से क्रोधित होकर ऋषि ने उन्हें मनुष्य योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया। जब सभी वसु ऋषि वशिष्ठ से क्षमा मांगने आए। तब ऋषि ने कहा कि तुम सभी वसुओं को तो शीघ्र ही मनुष्य योनि से मुक्ति मिल जाएगी। मगर इस द्यौ नामक वसु को अपने कर्म भोगने के लिए बहुत दिनों तक पृथ्वीलोक में ही रहना होगा। इस एक कर्म के कारण भीष्म को मिला पृथ्वीलोक में जन्मद्यौ के बहुत माफी मांगने के बाद ऋषि ने कहा एक बार दिया गया श्राप वापस नहीीं होता हैं इसलिए अब केवल इस श्राप को संशोधित किया जा सकता हैं भूलोक को दुखों की भूमि कहा जाता हैं जहां सभी मनुष्य अपने कर्म भोगकर मोक्ष की प्राप्ति करते हैं। ऐसे में तुम्हें भी अपने कर्म भोगने पड़ेंगे। मगर तुम्हें इच्छामृत्यु का वरदान हैं यानी तुम अपनी इच्छा से मृत्यु को गले लगा सकते हैं बिना इच्छा के कोई भी अस्त्र शस्त्र तुम्हारा कुद नहीं बिगाड़ सकता हैं। तुम्हे कष्ट जरूर होगा। मगर बिना अपनी इच्छा के मृत्यु नहीं होगी।
इस एक कर्म के कारण भीष्म को मिला पृथ्वीलोक में जन्म

महाभारत में भीष्म ऐसे योद्धा थे, जिनके पराक्रमी और निष्ठावान होने के बाद भी श्रीकृष्ण उनकी व्यक्तिगत प्रतिज्ञाओं की वजह से नाराज थे भगवान कृष्ण का कहना था कि अगर वो गलत होता देखकर अपना मौन तोड़ देते, तो महाभारत का रक्तरंजित युद्ध कभी नहीं होता हैं, पूर्वजन्म के एक कर्म की वजह से भीष्म को पृथ्वीलोक में जन्म लेना पड़ा। इस एक कर्म के कारण भीष्म को मिला पृथ्वीलोक में जन्म

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